कोच्चि 05 04, 2009
सूखे अदरक के घरेलू बाजार में इस समय तेजी है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि हाल के सप्ताहों में मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है, जबकि उसके मुताबिक आपूर्ति नहीं हो रही है।
बेहतरीन गुणवत्ता वाली अदरक की कीमत इस समय बढ़कर 14,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है, जबकि बेहतरीन अदरक बाजार में बहुत कम है। कीमतों में तेज बढ़ोतरी की वजह से इसके निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, क्योंकि दुनिया के बड़े अदरक निर्यातक, चीन में इसकी कीमतें भारत की तुलना में आधी हैं।
अदरक के उत्पादन के मौसम, जनवरी के मध्य में इसकी कीमतें 8,000-8500 रुपये प्रति क्विंटल थीं। उस समय आवक बहुत ज्यादा थी। लेकिन बाद में इसकी कीमतें बढ़कर 13,000 से 14,000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गईं।
इसकी खेती से संबंधित विशेषज्ञों के मुताबिक सूखे अदरक का उत्पादन केरल जैसे राज्यों में कम हो रहा है, क्योंकि देश भर में हरे अदरक की मांग ज्यादा है। कुछ साल पहले केरल में सूखी अदरक का उत्पादन 15,000 टन था, जबकि इस समय यह घटकर 4,000-5,000 टन रह गया है।
कीमतों में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह उत्पादन में आई कमी है। अदरक प्रसंस्करण इकाइयां कर्नाटक के शिमोगा में हैं, और घरेलू मांग मुख्य रूप से कर्नाटक में हुए उत्पादन से ही पूरी होती है। हरी अदरक की खास किस्म, जिससे सूखी अदरक प्राप्त होती है, के उत्पादन में आई गिरावट प्रसंस्करण उद्योग के लिए खतरे की घंटी है।
कोच्चि के निकट कुरुप्पमपाडी जैसे इलाकों में इसकी खेती के क्षेत्रफल में गिरावट दर्ज की गई है, जहां सूखी अदरक का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। शहरीकरण की वजह से भी इसके उत्पादन में खासी गिरावट आई है।
अदरक का प्रसंस्करण करने वाले मुख्य रूप से आयात पर निर्भर हैं, जो स्थानीय किस्म की तुलना में बहुत सस्ते दर पर मिल जाता है। चीन में अदरक 1,270 डॉलर प्रति टन, जबकि नाइजीरिया में 800 डॉलर प्रति टन है।
इथियोपिया में अदरक सबसे कम भाव, 600 डॉलर प्रति टन के हिसाब से मिलती है, जबकि भारतीय किस्म 2,500-2,700 डॉलर प्रति टन के भाव मिलती है। इस तरह से देखें तो भारत से अदरक का निर्यात बहुत महंगा होता है और केवल पश्चिमी एशिया के देशों में यहां से अदरक का निर्यात होता है, जहां भारतीय इसे पसंद किया जाता है।
पिछले साल के दौरान कोचीन पोर्ट से 1,490 टन अदरक का निर्यात हुआ, जिसमें से 900 टन पश्चिम एशिया भेजा गया। भारत से अमेरिका को अदरक का निर्यात नहीं किया जाता है, क्योंकि वहां अन्य देशों से सस्ते में अदरक पहुंच जाती है।
अप्रैल-फरवरी 2008-09 के दौरान अदरक का कुल निर्यात गिरकर 4,400 टन रह गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 6435 टन अदरक का निर्यात हुआ था। इस तरह से मात्रा के हिसाब से निर्यात में 31.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। चालू वित्त वर्ष में मसाला बोर्ड के 7000 टन के निर्यात के लक्ष्य का केवल 62.9 प्रतिशत निर्यात ही किया जा सका है। (BS Hindi)
05 मई 2009
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