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05 मई 2009

रबर आयात बढ़ कर हो सकता है दोगुना

कोच्चि 05 04, 2009
प्राकृतिक रबर की घरेलू और विदेशी बाजार की कीमतों का अंतर बढ़ता ही जा रहा है। इसी वजह से प्राकृतिक रबर के आयात के लिए दबाव की स्थिति बनती ही जा रही है।
फिलहाल बेंचमार्क ग्रेड आरएसएस 4 की कीमत विदेशी बाजार में खासतौर पर बैंकॉक में 22 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से सस्ती पड़ रही है। इसकी वजह से प्राकृतिक रबर के आयात में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
किसानों ने बड़े पैमाने पर रबर का भंडारण किया इसकी वजह से इसकी आपूर्ति में गिरावट आई। ऐसे में टायर कंपनियों के लिए सबसे बेहतर विकल्प, आयात को चुना। ऑटोमोटिव टायर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में आयात दोगुनी होगी क्योंकि विदेशी बाजार में सस्ता प्राकृतिक रबर भारी मात्रा में उपलब्ध है।
एटीएमए के सूत्रों के मुताबिक इस साल आयात 160,000 टन से ज्यादा होने की उम्मीद है। पिछले वित्तीय वर्ष में कुल निर्यात वर्ष 2007-08 के 86,394 टन के मुकाबले 79,927 टन रह गया। मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून की अवधि में मौजूदा वित्तीय वर्ष का आयात 50,000 टन तक पहुंचने की संभावना है। इसकी वजह टायर कंपनियों द्वारा पहले से ही दिया गया ऑडर्र है।
वर्ष 2008-09 में कुल आयात पहली तिमाही के दौरान 20,233 टन रहा है जिसमें से 8.5 फीसदी तक की कमी आई है। इससे पहले वित्तीय वर्ष 2007-08 की समान अवधि में यह 24,190 टन था। ऐसा नहीं है कि कीमतों की वजह से ही आयात का विकल्प चुनना पड़ता है बल्कि स्थानीय स्तर पर टायर निर्माण के लिए कच्चे माल की उपलब्धता मायने रखती है।
हालांकि रबर बोर्ड के आंकड़ों की मानें तो इस साल 31 मार्च तक कुल स्टॉक 205,000 टन रहा हालांकि प्राकृतिक रबर के सबसे बड़े गढ़ माने जाने वाले कोट्टयम और कोच्चि में रबर उपलब्ध नहीं है। इस उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि देश में रबर का बड़ा भंडार है तब रबर की स्थानीय बाजार में इतनी कमी क्यों है।
किसान और स्टॉकिस्ट अपने भंडार को बाजार में नहीं निकालना चाहते हैं क्योंकि वैश्विक कीमत के मुकाबले स्थानीय कीमत 22 रुपये प्रति किलोग्राम ज्यादा है। हालांकि यह सवाल है कि प्राकृतिक रबर का बड़ा स्टॉक आखिर है कहां? जब हम घरेलू बाजार के साथ जमीनी वास्तविकता की तुलना करते हैं तब बोर्ड का यह अनुमान बहुत विश्वसनीय नहीं लगता।
स्टॉकिस्टों के ताजा अनुमानों और उद्योग के संकेत से ऐसा लगता है कि स्टॉक 150,000 टन से कम होगा। एटीएमए ने भी प्राकृतिक रबर की उपलब्धता और स्टॉक को लेकर थोड़ी आशंका जताई है। यह भी मांग उठ रही है कि रबर बोर्ड को देश में स्टॉक की प्रत्यक्ष तौर पर जांच कराई जाए ताकि सही आंकड़ें सामने आएं।
हालांकि यह मांग आधिकारिक तौर पर नहीं उठाया गया है लेकिन उन्होंने पहले से ही इस मुद्दे को लेकर बोर्ड के अधिकारियों को इस बाबत इत्तला दी है। इस बीच हाल के महीने में देश के निर्यात को गंभीर झटका मिला है। वर्ष 2008-09 में कुल निर्यात 45,538 टन था और अब ऐसी संभावना है कि यह नीचे गिरकर 20,000 टन तक हो सकता है। (BS Hindi)

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