02 मई 2009
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के भाव बढ़े लेकिन घरेलू मंडियों में घटे
अप्रैल महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के भावों में लगभग 13 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। लेकिन सरकारी एजेंसियों की बिकवाली से घरेलू बाजार में इस दौरान करीब दो फीसदी की गिरावट देखी गई। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार चीन में वर्ष 2009-10 (अगस्त-09 से जुलाई-10) के दौरान कॉटन आयात में बढ़ोतरी होने की संभावना है। विदेशी बाजारों में कॉटन के मौजूदा भावों में दो-तीन सेंट प्रति पांउड की तेजी और आ जाती है तो फिर भारत से कॉटन निर्यात में तेजी आ सकती है।अंतरराष्ट्रीय बाजार न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के मई वायदा भाव बढ़कर 53.49 सेंट प्रति पाउंड हो गए। अप्रैल महीन में इसकी कीमतों में 13.6 सेंट प्रति पाउंड की तेजी आ चुकी है। एक अप्रैल को इसके दाम 47.86 सेंट प्रति पाउंड थे। उधर कॉटलुक इंडेक्स में इस दौरान कॉटन के दाम 54.60 सेंट से बढ़कर 59.25 सेंट प्रति पाउंड हो गए। इस दौरान इसकी कीमतों में लगभग 8.5 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव बढ़ने के बावजूद भारत में सरकारी एजेंसियों कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) और नेफेड की बिकवाली बढ़ने से घरेलू बाजार में गिरावट दर्ज की गई।अबोहर स्थित कमल कॉटन ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड के राकेश राठी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि सरकारी कंपनियों की बिकवाली बढ़ने से शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव घटकर 22,500 से 22,700 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रह गए। विदेशी बाजार में कॉटन के मौजूदा भावों में और दो-तीन सेंट की तेजी आ जाती है तो फिर निर्यातकों को पड़ते लगने शुरू हो जाएंगे। जिससे पड़ोसी देशों को निर्यात बढ़ने की संभावना बन जाएगी। सीसीआई के सूत्रों के मुताबिक चालू खरीद सीजन में कंपनी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 90 लाख गांठ की खरीद की है। इसमें से लगभग 62 लाख गांठ की बिक्री की जा चुकी है। नेफेड ने करीब 32 लाख गांठ की खरीद की है तथा चार-पांच लाख गांठ की बिक्री की है। निर्यात के लिए टैक्सटाइल कमिश्नर के आफिस में पिछले साल अगस्त से अप्रैल तक कुल लगभग 22 लाख गांठ के सौदे पंजीकृत हो चुके हैं तथा इसमें से करीब 12 लाख गांठ की शिपमेंट हो चुकी हैं। इससे पिछले साल अगस्त से मार्च तक कुल 19.69 लाख गांठ के सौदे पंजीकृत हुए थे तथा इसमें से 10.11 लाख गांठ की शिपमेंट हुई थी। फरवरी महीने में कुल 4.49 लाख गांठ और मार्च महीने में 5.85 लाख गांठ के सौदे पंजीकृत हुए तथा शिपमेंट क्रमश: 1.98 व 2.61 लाख गांठ की हुई। कॉटन में भारत से सबसे ज्यादा मांग चीन से निकलती है लेकिन चालू सीजन में चीन की मांग अभी कमजोर चल रही है। उधर अमेरिकी कृषि विभाग द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट के मुताबिक चीन में वर्ष 2009-10 (अगस्त-09 से जुलाई-10) के दौरान कॉटन आयात में बढ़ोतरी होने की संभावना है। जिससे विदेशी बाजार में तेजी को बल मिला है।सीसीआई के सूत्रों के मुताबिक 25 अप्रैल तक उत्पादक मंडियों में कॉटन की आवक 267 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) की हुई है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इसकी आवक 293 लाख गांठ की आवक हुई थी। उत्तर भारत और मध्य भारत के उत्पादक राज्यों में आवक पिछले साल की तुलना में घटी है जबकि दक्षिण भारत के राज्यों में आवक बढ़ी है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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