04 मई 2009
चीनी के दाम में फिलहाल गिरावट के आसार नहीं
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के भाव तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। जुलाई 2006 के बाद पहली बार रॉ शुगर (गैर-रिफाइंड चीनी) की कीमत 332 डॉलर प्रति टन (न्यूयॉर्क फ्यूचर मार्केट में जुलाई की आपूर्ति के भाव) हो गई है। पिछले 15 दिनों में इसमें 45 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है। अगर इस कीमत पर रॉ शुगर का आयात किया जाता है तो रिफाइन करने और ढुलाई आदि के खर्चे जोड़ने के बाद उसकी लागत 24 रुपये प्रति किलो से ज्यादा बैठेगी। दूसरी ओर ढुलाई और दूसरे खर्चो को शामिल किए बिना रिफाइंड शुगर की आयातित कीमत 450 डॉलर के आसपास बैठ रही है। ऐसे में शुल्क मुक्त आयात के बावजदू इस समय पश्चिम तटीय बंदरगाहों पर आयातित चीनी की कीमत 27.50 रुपये और पूर्वी तटीय बंदरगाहों पर 28.75 रुपये प्रति किलो पड़ रही है। इस वजह से घरेलू बाजार में उपभोक्ताओं को कीमतों में फिलहाल राहत मिलने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।उद्योग सूत्र इस साल देश में चीनी का उत्पादन 145 लाख टन रहने का अनुमान लगा रहे हैं। ऐसे में हमें करीब 30 लाख टन चीनी के आयात की जरूरत पड़ेगी। इसमें से करीब 15 लाख टन से ज्यादा रॉ शुगर के आयात सौदे घरेलू उद्योग कर चुका है। चीनी आयात करने वाले एक बड़े उद्योग समूह के मुताबिक अभी तक के सौदों की आयातित कीमत करीब 340 डॉलर प्रति टन पड़ रही है, लेकिन आगे हमें अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी की मुख्य वजह चालू साल में मांग के मुकाबले उत्पादन करीब 90 लाख टन कम रहने को बताया जा रहा है। मौजूदा हालात में भारत और पाकिस्तान बड़े आयातक के रूप में उभरे हैं। दूसरे पड़ोसी देशों में भी चीनी आयात की जरूरत पड़ रही है। इसके चलते भी विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। उद्योग सूत्रों के मुताबिक चीनी के वायदा सौदों में फंड्स की रुचि भी बढ़ी है। इसलिए हो सकता है आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में और अधिक तेजी देखने को मिले।भारत सरकार ने कीमतों को काबू में रखने के लिए एमएमटीसी और एसटीसी के जरिए आयात का फैसला किया था, लेकिन सूत्रों के मुताबिक अभी तक कोई भी सरकारी कंपनी बड़े सौदे नहीं कर पाई है। क्योंकि आयातित चीनी पर सब्सिडी को लेकर सरकार की स्थिति स्पष्ट नहीं है। बिना सब्सिडी के इन सरकारी कंपनियों द्वारा आयातित चीनी 25 रुपये पर भी बेचना मुश्किल होगा। आयातित चीनी (रिफाइंड शुगर) की मौजूदा कीमत 450 डॉलर प्रति टन के आसपास है। इसमें ढुलाई और दूसरे खर्चे शामिल नहीं हैं। ऐसे में शुल्क मुक्त आयात के बावजूद इस समय पश्चिम तटीय बंदरगाहों पर आयातित चीनी की कीमत 27.50 रुपये और पूर्वी तटीय बंदरगाहों पर 28.75 रुपये प्रति किलो बैठ रही है।पिछले साल देश में 263 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस साल यह 145 लाख टन के आसपास रहने का अनुमान है, जबकि घरेलू मांग 220 लाख टन केकरीब है। कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने जिस तरह से खुले बाजार के कोटे में बढ़ोतरी की है उसके चलते सितंबर 2009 में खत्म होने वाले पेराई सीजन के वक्त बकाया स्टॉक नाम मात्र का ही रहने का अनुमान है। अक्टूबर 2008 में यह 90 लाख टन से ज्यादा था। ऐसे स्थिति में ऊंची कीमतों के बावजूद चीनी का आयात करना पड़ेगा। (Business Bhaskar)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें