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01 मई 2009

खाद्य तेल आयात 59 फीसदी बढ़ने के बावजूद भाव तेज

चालू तेल वर्ष 2008-09 के दौरान नवंबर से मार्च तक देश में खाद्य तेलों के आयात में 59 फीसदी का इजाफा रहा है। आयात में बढ़ोतरी होने के बावजूद अप्रैल महीने में देश में खाद्य तेलों के भावों में लगभग दस फीसदी की तेजी दर्ज की गई।विश्व बाजार में भारतीय आयातकों की शून्य आयात शुल्क पर भारी खरीद के अलावा चीन से भी अच्छी मांग निकल रही है। इससे विदेशी बाजार में भी खाद्य तेलों के भाव बढ़े हैं। इसके कारण घरेलू बाजार में इनकी तेजी को बल मिला। देश में खाद्य तेलों की कुल उपलब्धता ज्यादा है इसलिए आगामी दिनों में गिरावट की आशंका है। सॉल्वेंट एक्सटैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के मुताबिक चालू तेल वर्ष 2008-09 के पहले पांच महीनों में देश में खाद्य तेलों का आयात बढ़कर 35.92 लाख टन तक पहुंच गया। जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इसका आयात 22.64 लाख टन रहा था। केएस आयल ग्रुप के चैयरमैन रमेश गर्ग ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चुनाव के बाद खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क लगने की संभावनाओं के कारण आयातकों द्वारा भारी मात्रा में आयात किया गया है। मार्च तक अग्रिम सौदै होने से अप्रैल-मई में भी आयात में बढ़ोतरी होने की संभावना है। भारत द्वारा भारी मात्रा में आयात करने और चीन की अच्छी मांग होने से पिछले नवंबर से अप्रैल मध्य तक विदेशी बाजार में क्रूड पॉम आयल और आरबीडी पामोलीन के भावों में क्रमश: 63 और 39 फीसदी की भारी तेजी दर्ज की गई। अत: विदेशी बाजार बढ़ने से घरेलू बाजार में भी अप्रैल महीने में खाद्य तेलों के भावों में लगभग दस फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। विदेशी बाजार में नवंबर में क्रूड पॉम आयल के भाव 475 डॉलर प्रति टन थे जबकि अप्रैल में इसके भाव बढ़कर 725 डॉलर प्रति टन हो गए। इसी तरह से आरबीडी पामोलीन के भाव भी इस दौरान 565 डॉलर से बढ़कर 800 डॉलर प्रति टन हो गए। घरेलू बाजार में अप्रैल महीने के शुरू में मुंबई में रिफाइंड सोया तेल के भाव 440 रुपये प्रति दस किलोग्राम थे जबकि गुरुवार को इसके भाव 480 रुपये प्रति दस किलो हो गए। क्रूड पाम तेल के भाव इस दौरान कांडला पोर्ट पर 312 रुपये से बढ़कर 381 रुपये प्रति दस किलो, सरसों तेल के भाव जयपुर में 438 रुपये से बढ़कर 467 रुपये और बिनौला तेल के भाव राजकोट में 430 रुपये से बढ़कर 472 रुपये प्रति दस किलो हो गए। विजय साल्वेक्स लिमिटेड के विजय डाटा ने बताया कि रबी सीजन में सरसों की पैदावार में बढ़ोतरी और भारी मात्रा में आयात होने के कारण देश में खाद्य तेलों की कुल उपलब्धता ज्यादा है। ऐसे में आगामी दिनों में भारत से आयात सौदे कम होने की आशंका है। अगर आयात सौदे कम होते हैं तो विदेशी बाजार में खाद्य तेल के भाव घट सकते हैं जिसका असर भारतीय खाद्य तेलों के भावों पर भी पड़ सकता है। (Business Bhaskar...R S Rana)

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