08 जुलाई 2010
रबर पर फिक्स कस्टम डयूटी लगाई जाए
घरेलू टायर उद्योग ने नेचुरल रबर पर फिक्स रट से कस्टम डयूटी लगाने की मांग की है। इस समय रबर पर एड वेलोरम डयूटी लगती है। रबर के मूल्य में भारी इजाफा होने से परशान उद्योग ने यह मांग उठाई है।मौजूदा एड वेलोरम डयूटी के तहत नेचुरल रबर के दाम बढ़ने पर शुल्क लगता है। इससे न सिर्फ उद्योगों के लिए रबर के दाम बढ़ जाते हैं, बल्कि उन्हें इसके आयात पर ज्यादा कस्टम ड्यूटी का भार उठाना पड़ता है। ऑटोमोबाइल टायर मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के डायरक्टर जनरल राजीव बुद्धिराजा के अनुसार मौजूदा स्थिति में दाम बढ़ने के बाद आनुपातिक रूप से कस्टम डयूटी भी बढ़ जाती है। उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि रबर के दाम निश्चित स्तर से ऊपर जाने पर फिक्स रट से कस्टम डयूटी लगाई जानी चाहिए। मौजूदा दौर में 90 रुपये प्रति किलो से ऊपर दाम होने पर कस्टम डयूटी लगाई जानी चाहिए। नेचुरल रबर के दाम जब 75 रुपये प्रति किलो थे, उस समय 20 फीसदी यानि 15 रुपये प्रति किलो की दर से डयूटी तय की गई थी। जब मूल्य 180 रुपये प्रति किलो था, तब 20 फीसदी दर से 36 रुपये प्रति किलो डयूटी बनती है। हाल में चीन में कस्टम डयूटी में इसी तरह का बदलाव किया गया है ताकि घरलू टायर उद्योग और रबर उत्पादकों के बीच संतुलन बन सके। इस व्यवस्था से रबर के दाम ज्यादा प्रतिस्पर्धी रहते हैं। इस समय चीन में शीट रबर के आयात पर शुल्क 20 फीसदी या 1।6 युआन प्रति किलो (इन दोनों में जो भी कम हो) लगता है। चूंकि इस समय दाम 23.10 रुपये प्रति किलो चल रहे है, इस तरह प्रभावी डयूटी सात फीसदी से भी कम पड़ रही है। बुद्धिराजा ने कहाकि उद्योग ने सरकार से दो लाख टन रबर के प्राथमिकता के आधार पर डयूटी फ्री आयात की भी मांग की है, ताकि घरलू बाजार में मूल्य नियंत्रित हो सकें। इससे उत्पादन और खपत के बीच का अंतर पाटने में भी मदद मिलेगी। वर्ष 2010 में घरलू उत्पादन खपत के मुकाबले करीब 1.76 लाख टन कम रहने का अनुमान लगाया गया है। रबर बोर्ड ने सिर्फ 85,000 टन नेचुरल रबर की कमी होने का अनुमान लगाया था। (बिज़नस भास्कर)
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