08 जुलाई 2010
चीनी बिक्री पर 1,000 करोड़ सब्सिडी
सरकार ने लेवी चीनी खरीद का मूल्य चार रुपये प्रति किलो से ज्यादा बढ़ा दिया है। लेकिन राशन पर इस चीनी बिक्री का मूल्य अभी पूर्ववत ही है। ऐसे में राशन पर चीनी बिक्री से सरकार पर करीब 1000 करोड़ रुपये सब्सिडी का भार पड़ेगा। सरकार राशन पर गरीब उपभोक्ताओं को बिक्री के लिए मिलों से लेवी के रूप में चीनी लेती है। इस समय सरकार मिलों से उनके कुल उत्पादन में से 20 फीसदी चीनी लेवी के रूप में ले रही है। खाद्य मंत्रालय ने सीजन वर्ष 2009-10 के लिए लेवी चीनी का खरीद मूल्य बढ़ाकर 17।57 रुपये प्रति किलो कर दिया है। इससे पहले लेवी चीनी का मूल्य 13.22 रुपये प्रति किलो था। लेवी चीनी का खरीद मूल्य बढ़ने के बावजूद सरकार ने इसका बिक्री मूल्य 13.50 रुपये प्रति किलो के स्तर पर अपरिवर्तित रखा है। इसमें मार्च 2002 के बाद से कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। सरकार को राशन पर बिक्री के लिए करीब 28 लाख टन चीनी की आवश्यकता पड़ती है।खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अगर राशन दुकानों पर इस चीनी की बिक्री का मूल्य नहीं बढ़ता है तो करीब 1000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और इसे सब्सिडी के जरिये पूरा करना होगा। उधर उद्योग का अनुमान कहीं ज्यादा है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के डिप्टी डायरक्टर जनरल एम. एन. राव के अनुसार राशन पर दाम कई सालों से संशोधित न किए जाने के कारण इसमें बढ़ोतरी करने की जरूरत है क्योंकि लेवी चीनी का खरीद मूल्य बढ़ाया जा चुका है। उनका अनुमान है कि बिक्री मूल्य न बढ़ने पर सरकार को 1200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार उठाना होगा। सरकारी अधिकारी ने बताया कि चीनी का बिक्री मूल्य बढ़ाने के लिए मंत्रालय एक प्रस्ताव बनाकर अधिकार प्राप्त मंत्री समूह (ईजीओएम) के समत्र पेश करने पर विचार कर सकता है। चालू सीजन के दौरान देश में चीनी का उत्पादन 160 लाख टन से बढ़कर 188 लाख टन रहने के अनुमान के बाद मंत्रालय ने लेवी चीनी की मात्रा 20 फीसदी से घटाकर 16 फीसदी करने की योजना बनाई है। हालांकि इस पर विचार नई फसल का अनुमान लगने के बाद किए जाने की संभावना है। दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता और दूसर सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में हर साल करीब 230 लाख टन चीनी की खपत होती है। अगले सीजन में चीनी का कुल उत्पादन खपत के बराबर रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है। (बिज़नस भास्कर)
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