कुल पेज दृश्य

09 जुलाई 2010

चीनी को नियंत्रणमुक्त करने की सिफारिश करेगा मंत्रालय

खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि स्थिति की समीक्षा के बाद चीनी को नियंत्रणमुक्त करने की सिफारिश केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजी जाएगी।
पवार ने शुक्रवार को एक सम्मेलन के मौके पर कहा कि गन्ना किसानों के हितों की पूरी रक्षा की जाएगी, क्योंकि गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का अधिकार सरकार के पास है।
पवार ने कहा, नेशनल शुगर कोआपरेटिव फैक्ट्रीज फेडरेशन (एनएससीएफएफ) और भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने हमें लिखा है कि चीनी क्षेत्र को नियंत्रणमुक्त किए जाने के लिए यह सही समय है। हम पूरी स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। अगस्त तक हमें यह पता चल जाएगा कि गन्ने की बुवाई कितनी हुई है और चीनी उत्पादन कितना रहेगा। स्थिति के आकलन के बाद हम इस बारे में मंत्रिमंडल को सिफारिश भेजेंगे। उन्होंने कहा कि हम किसानों के लिए गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करेंगे। सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का अधिकार अपने पास रखेगी।
कृषि मंत्री ने इसी सप्ताह कहा था कि अब उचित समय आ गया है जब सरकार चीनी उद्योग को नियंत्रणमुक्त करने पर गंभीरता से विचार कर सकती है। उन्होंने कहा था कि अगले फसल वर्ष में चीनी उत्पादन काफी अच्छा रहने की उम्मीद है। गन्ने का समर्थन मूल्य तय करने से लेकर खुले बाजार में बिक्री के लिए चीनी जारी करने तक का अधिकार सरकार के पास है। पवार ने कहा, ईमानदारी से मेरा मानना है कि यह एख जारी रहेगा। यदि यह रुख जारी रहता है, तो किसी को खाद्य मंत्रालय के पास आना नहीं होगा। विभिन्न तरह के नियंत्रण हटाने पर गंभीरता से विचार का यह उचित समय है।
निजी चीनी मिलों के संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) पिछले कई साल से चीनी क्षेत्र को नियंत्रण मुक्त करने की मांग कर रहा है। कुछ साल पहले तक सहकारी चीनी मिलें सरकारी नियंत्रण हटाने के पक्ष में नहीं थीं। पर अब नेशनल शुगर कोआपरेटिव फैक्ट्रीज फेडरेशन (एनएससीएफएफ) भी बाजार को मुक्त करने के पक्ष में है। 2009-10 के फसल वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान चीनी उत्पादन सुधरकर 1। 85 करोड़ टन पर पहुंच गया है। पहले 1. 6 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। अगले वर्ष के लिए गन्ने के बुवाई क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है। (दैनिक हुन्दुस्तान)

कोई टिप्पणी नहीं: