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05 मार्च 2010

गेहूं निर्यात की रोक हटाने पर विचार कर सकती है सरकार

केंद्रीय पूल में गेहूं के भारी-भरकम स्टॉक को कम करने के लिए केंद्र सरकार गेहूं निर्यात पर लगी रोक को हटाने पर विचार कर सकती है। गुरुवार को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा आयोजित पूसा कृषि विज्ञान मेला-2010 के उद्घाटन के बाद कृषि मंत्री शरद पवार ने पत्रकारों को बताया कि गेहूं निर्यात पर फैसला अधिकारी प्राप्त मंत्री समूह (ईजीओएम) को लेना है। केंद्रीय पूल में पहली फरवरी को 206।23 लाख टन गेहूं और 256.58 लाख टन चावल का स्टॉक बचा था। जबकि चालू खरीद सीजन में 260 लाख टन चावल और 250 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार के पास 250 लाख टन अनाज का भंडारण करने की क्षमता है। पहले से ही काफी ज्यादा अनाज स्टॉक में होने के कारण नए खरीद सीजन में सरकार को गेहूं और चावल को रखने में परशानी हो सकती है। हालांकि सरकार गेहूं निर्यात पर लगी रोक को हटाती है तो भी भारत के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव कम होने से निर्यात होने की संभावना कम है। मेले में भाग लेने आए उत्तर भारत के किसानों ने कृषि मंत्री से गेहूं के न्यूनमत समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाने की मांग की। किसानों का कहना था कि पिछले साल के मुकाबले गेहूं के एमएसपी में मात्र 20 रुपये की बढ़ोतरी अपर्याप्त है क्योंकि उनकी लागत कई गुना बढ़ गई है। कृषि मंत्री ने कहा कि देश की 60 फीसदी जनता कृषि से जुड़ी हुई है इसलिए किसानों की आर्थिक स्थिति जब तक मजबूत नहीं होगी, तब तक देश की तरक्की सुनिश्चित नहीं होगी।सरकार किसानों को उनकी फसल के वाजिब दाम देने के साथ ही गरीबों को उचित मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के प्रति वचनबद्व है। इसके लिए संतुलन बनाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। अगर किसान को अपनी फसल का उचित मूल्य मिलेगा, तभी देश में खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। खरीफ सीजन में 14 राज्यों के 322 जिलों में सूखे जैसी स्थिति बनने के बावजूद रबी में चावल, गेहूं और दालों का उत्पादन बढ़ा है। अभी तक के मौसम को देखते हुए उम्मीद है कि चालू रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन पिछले साल के 806 लाख टन से भी ज्यादा हो सकता है। पवार ने कहा कि गेहूं और चावल के बकाया स्टॉक और नई फसल को देखते हुए देश की तो खाद्यान्न आवश्यकता पूरी होगी ही, पड़ोसी देशों की सहायता के लिए भी हम तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने गरीबों को उचित मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए ही 2002 से गरीबी रखा से नीचे (बीपीएल) और अंत्योदय अन्न योजना के तहत गरीब परिवारों को आवंटित किए जाने वाले गेहूं और चावल की कीमतों को नहीं बढ़ाया है। जबकि इस दौरान किसानों को उचित मूल्य देने के लिए गेहूं और चावल के एमएसपी में भारी बढ़ोतरी की है।बात पते कीसरकारी गोदामों में 206 लाख टन गेहूं और 256 लाख टन चावल रखा है। चालू सीजन में 260 लाख टन चावल तथा 250 लाख टन गेहूं और एकत्रित होगा। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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