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02 मार्च 2010

विदेश से गेहूं के भाव को मिलेंगे सुस्ती के संकेत

आगामी महीनों में भले ही सरकार द्वारा घोषित 1100 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आधार पर ही खुले बाजार में इसका भाव तय होगा लेकिन विदेश से गेहूं में मंदी का संकेत मिलता रहेगा। चालू रबी सीजन में गेहूं की पैदावार में बढ़ोतरी और बकाया बंपर स्टॉक होने का असर गेहूं कीमतों पर रहेगा। अगले दस-पंद्रह दिनों में गेहूं की मौजूदा कीमतों में लगभग दस फीसदी की और गिरावट आने की आशंका है। इसीलिए पिछले दस दिनों में हाजिर और वायदा बाजार में गेहूं की कीमतों में क्रमश: 2.2 और 2.8 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। गेहूं विशेषज्ञों का अनुमान है कि उत्पादन बढ़कर 820 लाख टन होने की संभावना है। हालांकि कृषि मंत्रालय द्वारा जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक चालू रबी में गेहूं का उत्पादन 802.8 लाख टन रह सकता है जबकि वर्ष 2008-09 में उत्पादन 806.8 लाख टन रहा था। पहली फरवरी को केंद्रीय पूल में 206.33 लाख टन गेहूं का स्टॉक बचा है। इस समय सरकारी गेहूं का उठान फ्लोर मिलर के साथ राज्यों द्वारा भी सीमित मात्रा में किया जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार के पास पहली अप्रैल को गेहूं का बकाया स्टॉक पूर्व के अनुमान 147 लाख टन से ज्यादा बचेगा। तय मानकों के हिसाब से पहली अप्रैल को केंद्रीय पूल में 40 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए। पिछले साल भारतीय खाद्य निगम ने एमएसपी 1080 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 253 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खरीद की थी। नए खरीद सीजन में सरकारी खरीद का लक्ष्य 250 लाख टन का रखा गया है। तथा केंद्र सरकार ने गेहूं के एमएसपी में मात्र 20 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1100 रुपये प्रति क्विंटल तय किए हैं। नई खरीद और बकाया स्टॉक को मिलाकर मई में केंद्रीय पूल में गेहूं का भारी-भरकम स्टॉक होगा। जानकारों के अनुसार भारी स्टॉक के कारण सरकार गेहूं के निर्यात को खोल सकती है हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव कम होने से भारत से निर्यात पड़ते लगने की संभावना कम ही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं का दाम 280-300 डॉलर प्रति टन है। गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में नए गेहूं की आवक शुरू हो चुकी है जबकि मार्च के आखिर में उत्तर भारत के राज्यों में भी आवक शुरू हो जाएगी। मध्य प्रदेश और राजस्थान में गेहूं की एमएसपी पर खरीद 15 मार्च से शुरू हो जाएगी जबकि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में सरकारी खरीद पहली अप्रैल से शुरू होगी। गेहूं की तेजी-मंदी काफी हद तक प्राइवेट स्टॉकिस्ट की खरीद पर निर्भर करेगी। प्राइवेट स्टॉकिस्टों और फ्लोर मिलर्स की खरीद कमजोर रही तो उत्पादक मंडियों में गेहूं के दाम एमएसपी से भी नीचे जाने की आशंका है। इस समय दिल्ली थोक बाजार में गेहूं का भाव घटकर 1330-1430 रुपए प्रति क्विंटल रह गया है जबकि मार्च के आखिर तक इसमें और भी 130-140 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने की संभावना है। गुजरात और मध्य प्रदेश में फसल आने से दक्षिण भारत के राज्यों में गेहूं की कीमतें घटकर 1425 रुपये प्रति क्विंटल रह गई है इसीलिए फ्लोर मिलर्स ने सरकारी गेहूं का उठान कम कर दिया है। निवेशकों की मुनाफावसूली से नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडी ईएक्स) में मार्च महीने के वायदा अनुबंध में पिछले दस दिनों में गेहूं की कीमतों में 2.8 फीसदी की गिरावट आकर भाव 1283 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। - आर.एस. राणा (बिज़नस भास्कर)

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