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11 जून 2009

बीपीएल पर केंद्र व राज्यों में मतभेद

नई दिल्ली। गरीब परिवारों को तीन रुपये प्रति किलो चावल व गेहूं देने की योजना के कार्यान्वयन के तौर तरीकों को लेकर केंद्र और राज्यों में सहमति नहीं बन पाई है। राज्यों में इस योजना के लिए पात्र परिवारों के चयन के आधार को लेकर मतभेद हैं।
कांग्रेस ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले यानी बीपीएल परिवारों को सस्ता राशन उपलब्ध कराने का वादा आम चुनावों में किया था। इस संबंध में केंद्रीय खाद्य सचिव अलका सिरोही ने बुधवार को राज्य के खाद्य सचिवों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में राज्यों के खाद्य सचिव इस बात पर सहमत नहीं हो सके कि अनाज आवंटन के लिए आधार क्या होना चाहिए।
कुछ अधिकारियों की राय थी कि अनाज का आवंटन बीपीएल परिवारों के बारे में राज्यों के आकलन के आधार पर हो न न कि योजना आयोग द्वारा सुझाए गए माडल के आधार पर। योजना आयोग के माडल के आधार पर केंद्र चार करोड़ से अधिक बीपीएल परिवारों को अनाज आवंटित करता है जबकि राज्यों ने आठ करोड़ से अधिक बीपीएल परिवारों को कार्ड जारी किए हैं।
कुछ राज्यों का मानना है कि इस योजना के कार्यान्वयन का जिम्मा उन पर नहीं छोड़ा क्योंकि इसके पात्र परिवारों की संख्या और गुणवत्ता का फैसला केंद्र को करना है।
पंजाब का कहना था कि उपभोक्ता राज्यों के पास भंडारण की पर्याप्त सुविधा हो। इसने मांग की कि पीडीएस वितरण उनके हाथ में ही रहे।
उच्च पदस्थ अधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार इस संबंध में कानून को लेकर खासी गंभीर है। खाद्य मंत्री शरद पवार पहले ही कई बैठकें कर चुके हैं। (Jagran)

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