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01 जून 2009

गेहूं के निर्यात पर लगी रोक अभी नहीं हटाएगी सरकार

कांग्रेस की चुनावी वायदों की वजह से गेहूं निर्यात पर लगी रोक हटने वाली नहीं है। चुनावी वायदे के मुताबिक सरकार अत्यंत गरीब परिवारों को तीन रुपये किलो के भाव पर अनाज उपलब्ध कराना चाहती है। ऐसे में रिकार्ड सरकारी खरीद और सरकार की पूर्व सहमति के बावजूद गेहूं निर्यात नहीं हो सकेगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय को गेहूं निर्यात पर से रोक हटाने संबंधी अधिसूचना जारी करने से रोक दिया गया है। जबकि पिछली सरकार में ही निर्यात खोलने की मंजूरी देते हुए 15 मई के बाद अधिसूचना जारी करने का संकेत दिया गया था। यह फैसला मार्च में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने लिया था। उसके बाद सचिवों की समित को निर्यात संबंधी नियम तैयार करने का सुझाव दिया गया था। इस महीने की शुरूआत में सचिवों की समिति ने इस एक बैठक में पीईसी, एमएमटीसी और एसटीसी के साथ प्रत्येक राज्य की किसी एक एजेंसी के जरिये गेहूं निर्यात करने का फैसला किया था। इस दौरान 25 मई को दोबारा कृषि मंत्री का पद संभालते ही शरद पवार ने इस बात का संकेत दिया कि निर्यात खोलने से पहले कांग्रेस के वायदे के मुताबिक अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। लिहाजा जब तक अनाजों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो जाती है, तब तक गेहूं का निर्यात प्रतिबंधित रहेगा। उन्होंने कहा था कि सरकार पहले स्टॉक की स्थिति देखेगी, इसके बाद प्रस्तावित योजना के लिए अनाज उपलब्ध कराने के बाद ही निर्यात पर फैसला किया जाएगा। गौरतलब है कि चुनावी प्रचार के दौरान कांग्रेस ने दोबारा सत्ता में आने के बाद अत्यंत गरीब परिवारों को सस्ते दरों पर गेहूं या चावल उपलब्ध कराने का वायदा किया था। पवार ने कहा कि इस योजना के लिए सरकार को और अनाज की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में निर्यात को खोलना सरकार के लिए काफी संवेदनशील मामला हो गया है। हालांकि इसके बावजूद सरकार गेहूं निर्यात के पक्ष में है। मौजूदा समय में 230 लाख टन से ज्यादा गेहूं की सरकारी खरीद हो चुकी है। पिछले साल करीब 226.89 लाख टन खरीद हुई थी।एशियाई बाजारों में गेहूं महंगा रहने की संभावनासिंगापुर। आने वाले दिनों में एशियाई बाजारों में गेहूं की कीमतों में तेजी रह सकती है। पिछले दिनों में शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबॉट) में गेहूं वायदा मजबूत रहा। सीबॉट में गेहूं के भाव जनवरी के बाद के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। गुरुवार को सीबॉट में जुलाई वायदा करीब 6.45 डॉलर प्रति बुशल के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद 6.30 डॉलर प्रति बुशल पर आ गया। शुक्रवार को ई-सीबॉट एशिया में गेहूं वायदा में गिरावट का रुख रहा। यहां जुलाई वायदा करीब 3.25 सेंट की नरमी के साथ 6.27 डॉलर प्रति बुशल पर रहा। अमेरिका में जाड़़े में पैदा होने वाले गेहूं की फसल में देरी होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में वैश्विक बाजार में गेहूं की सप्लाई पर असर पड़ सकता है।हालांकि हाल के दिनों में गेहूं में आई तेजी एशिया के कुछ देशों में गेहूं का आयात होने की संभावना से आई है। दरअसल दो दिन पहले जापान के कृषि मंत्रालय ने अमेरिका और आस्ट्रेलिया से करीब 71 हजार टन गेहूं खरीद की है। यह खरीद नियमित साप्ताहिक टेंडर के जरिये हुई है। इस दौरान आस्ट्रेलिया के गेहूं उत्पादक इलाकों में जारी सूखे की स्थिति से यहां गेहूं उत्पादन औसत से कम रह सकता है। जिससे आने वाले दिनों में गेहूं की कीमतों में तेजी आ सकती है। (डो जोंस)कोआपरेटिव बल्क हैंडलिंग लिमिटेड के ऑपरशनल मैनेजर माईकल मुस्ग्रेव के मुताबिक आस्ट्रेलिया में करीब 80-110 लाख टन गेहूं पैदा होने की संभावना है। यहां पर दिसंबर और नवंबर में गेहूं की कटाई होती है। (Buisness Bhaskar)

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