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12 जून 2009

बासमती निर्यात बढ़कर दोगुना होने की संभावना

चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत से बासमती चावल का निर्यात बढ़कर दोगुना होने की संभावना जताई जा रही है। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक ईरान और कुवैत से मांग बढ़ने से करीब 18-20 लाख टन बासमती चावल का निर्यात होने की संभावना है। गौरतलब है कि पिछले साल पाकि स्तान के बासमती से भारत को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा था। इसका असर निर्यात पर भी देखा गया। लेकिन पिछले साल अक्टूबर में पूसा और पूसा 1121 को बासमती की श्रेणी में लाने और इस साल खाड़ी देशों में मांग बढ़ने से पाकिस्तान के बासमती को कड़ी टक्कर दी जा सकती है। कोहिनूर फूड लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक गुरनाम अरोड़ा के मुताबिक सरकार द्वारा पूसा 1121 को बासमती में शामिल करने से बाद से कुवैत और ईरान में इसकी मांग बढ़ रही है। पिछले साल सरकार द्वारा बासमती के न्यूनतम निर्यात मूल्य को बढ़ाकर 1200 डॉलर प्रति टन तय करने और इस पर 8,000 रुपये का निर्यात कर लगाने की वजह से निर्यात में गिरावट देखी गई थी। इस साल जनवरी में सरकार ने निर्यात कर को हटाने के साथ ही न्यूनतम निर्यात कीमत को भी घटाकर 1,100 डॉलर प्रति टन कर दिया है। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष विजय सेतिया के मुताबिक मौजूदा समय में ज्यादातर निर्यात मांग पूसा 1121 में ही आ रही है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत से करीब 949,554 टन बासमती का निर्यात हुआ है। इससे एक साल पहले यहां से करीब 11.8 लाख टन बासमती का निर्यात हुआ था। तिलदा राइसलैंड के निदेशक आर. एस. शेषाद्री के मुताबिक इस साल करीब 18-20 लाख टन बासमती चावल का निर्यात होने की उम्मीद है। (Buisness Bhaskar)

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