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10 जून 2009

बढ़ती कीमतें बनीं सरकारी राह में रोड़ा

मुंबई/नई दिल्ली June 09, 2009
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से हो रही बढ़ोतरी से सरकार को 4 प्रमुख पेट्रोलियम उत्पादों को नियंत्रण मुक्त करने की योजना से कदम पीछे खींचना पड़ सकता है।
पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और केरोसिन तेल की कीमतें अभी सरकार तय करती है। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'कीमतों को नियंत्रण मुक्त किए जाने का प्रस्ताव अभी बातचीत के स्तर पर है और इसके लिए कोई ठोस प्रस्ताव नहीं तैयार किया गया है। पिछले 1 महीने से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, इसे देखते हुए यह अनुभव किया जा रहा है कि कीमतों को नियंत्रण मुक्त किए जाने का यह सही समय नहीं है।'
पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने 29 मई को पदभार ग्रहण करते समय कहा था कि 'कीमतों को नियंत्रण मुक्त किए जाने के मसले पर बातचीत की जा रही है और इस प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष अगले 6 सप्ताह के बीच रखा जाएगा।'
मई महीने के बाद से ही भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की औसत कीमतों में 16.14 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यह 8 जून तक 67.36 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इसकी कीमतों में दिसंबर 2008 से अब तक 35.83 डॉलर प्रति बैरल के औसत से 88 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
निवेश बैंकिंग और सिक्योरिटी फर्म गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि चालू कैलेंडर वर्ष के अंत तक कीमतें 85 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, क्योंकि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
सरकार की तेल विपणन कंपनियां- इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस सिलेंडर और केरोसिन तेल की बिक्री सरकार द्वारा तय मूल्य पर करती हैं, जो सामान्यतया उत्पादन लागत से कम मूल्य पर बेची जाती है। इसके परिणामस्वरूप कंपनियों को बिक्री पर नुकसान उठाना पड़ता है।
वर्तमान में पेट्रोल, केरोसिन और एलपीजी पर क्रमश: 3.10 रुपये प्रति लीटर, 12 रुपये प्रति लीटर और 60 रुपये प्रति सिलेंडर के हिसाब से कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। कंपनियों के इस नुकसान की भरपाई सरकार बॉन्ड जारी करके करती है।
तीन तेल कंपनियों का इस वित्त वर्ष 2008-09 के अंत तक नुकसान 103,908 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो डीजल, पेट्रोल, केरोसिन और एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी दिए जाने के चलते हुआ है। उद्योग जगत के जानकारों का भी मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के चलते कीमतों को नियंत्रण मुक्त किए जाने का विचार पीछे छूट सकता है।
इस क्षेत्र के मुंबई स्थित एक विश्लेषक का कहना है, 'ईंधन की कीमतों को नियंत्रण मुक्त किए जाने का विचार तभी कार्यरूप ले सकता है, जब कच्चे तेल की कीमतें कम हों। लेकिन अगर कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी होती है तो मेरा मानना है कि सरकार तेल की कीमतों पर नियंत्रण अपने हाथ में ही रखना उचित समझेगी।'
बढ़ गई सरकार की चिंता
मई महीने के बाद से ही भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की औसत कीमतों में 16.14 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिसंबर 2008 के 35.83 डॉलर प्रति बैरल से 88 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद कीमतें अब 67.36 डॉलर प्रति बैरल परजानकारों के मुताबिक कीमतों को नियंत्रण मुक्त करने के लिए यह उचित वक्त नहीं (BS Hindi)

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