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10 जून 2009

देश में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ने की संभावना

मुंबई June 09, 2009
हालांकि अभी देश के हर हिस्से में मानसून आना बाकी है, जिंस बाजार के थिंक टैंक संयुक्त राष्ट्र कृषि विभाग (यूएसडीए) ने भारत के कृषि उत्पादन के लिए बेहतर अनुमान लगाया है।
यूएसडीए का मानना है कि इस साल मानसून की स्थिति अच्छी रहेगी। यूएसडीए की रिपोर्ट से एनसीडीएक्स द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के मुताबिक इस साल गेहूं को छोड़कर सभी जिंसों के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
गेहूं के उत्पादन में मामूली गिरावट का अनुमान लगाया गया है, जो पहले के साल के 786 लाख टन उत्पादन की तुलना में घटकर 775 लाख टन रह जाएगा। बड़े कृषि जिंसों का उत्पादन बढ़ेगा और यह 2007-08 के उत्पादन के स्तर पर रहने का अनुमान है। लेकिन भारतीय उपभोक्ताओं के लिए चीनी में तीखापन बना रहेगा।
चीनी का उत्पादन 2009-10 (अक्टूबर-सितंबर) में 208 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि इसके पहले साल में 168 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। यूएसडीए ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि अगर कुल उत्पादन के लिहाज से देखें तो सभी फसलों का उत्पादन बेहतर रहेगा। इसमें गेहूं ही अपवाद है।
बहरहाल गेहूं का भंडारण बहुत बढ़िया है, इसलिए बाजार पर कोई प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है। हालांकि वैश्विक कमी की वजह से भारतीय बाजार प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों में साम्य बनने में कीमतों में बदलाव होगा। तालिका में विभिन्न फसलों की तुलनात्मक कीमतें और उसमें सुधार की जानकारी दी गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल मानसून बेहतर रहेगा और हर इलाके में बारिश होने के आसार हैं। इससे फसलों के उत्पादन पर सकारात्मक असर पड़ेगा। बरसात के बाद गेहूं की बुआई होती है, इसलिए बारिश को गेहूं की फसल के लिए भी बेहतर माना जा रहा है।
भारत में मानसून का प्रसार जून महीने से शुरू होता है और सितंबर तक इसका असर पूरे देश में हो जाता है। इस मौसम में खासकर धान और तिलहन की बुआई होती है। (BS Hindi)

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