10 जून 2009
कपास निर्यात लक्ष्य से कम रहने की आशंका
अहमदाबाद/चंडीगढ़: इस साल भारत से कपास निर्यात का आंकड़ा घट सकता है। वित्त वर्ष 2007-08 में भारत ने कपास की 85 लाख गांठों का निर्यात किया था लेकिन 2008-09 में भारत के 50 लाख गांठों का स्तर छू पाने में भी दिक्कत दिख रही है। भारत के कपास संघ (कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया या सीएआई) के ताजा अनुमानों के मुताबिक अगस्त 2009 तक भारत का कपास की सिर्फ 40 लाख गांठों का ही निर्यात कर पाएगा। उद्योग जगत का मानना है कि घरेलू बाजार में कपास की ऊंची कीमत की वजह से निर्यात पर असर पड़ सकता है। उद्योग जगत ने निर्यात के 30 लाखों गांठों तक भी सिमटने की आशंका जताई है। सीएआई के फसली अनुमान के मुताबिक भारत 40 लाख गांठों का निर्यात करेगा। सीएआई का यह अनुमान कपास सलाहकार संघ (कॉटन एडवाइजरी बोर्ड या सीएबी) के फरवरी में लगाए अनुमान से 10 लाख गांठ कम है। सीएआई के प्रेसिडेंट धीरेन सेठ का कहना है, 'मौजूदा फसली साल के लिए सीएबी का मानना है कि भारत कपास की 50 लाख गांठों का निर्यात करेगा। 30 मई को सीआईए के आंकड़ों के खुलासे में निर्यात अनुमान घटकर 40 लाख गांठों तक पहुंच गया है।' टेक्सटाइल कमिशनर के ऑफिस में जुलाई 2009 तक निर्यात होने के लिए सिर्फ 28 लाख गांठों का पंजीकरण है और इसमें से भी महज 16 लाख गांठें ही चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान और इंडोनेशिया भेजी जा सकी हैं। दक्षिण भारत कपास संघ के कोयंबटूर मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'सीएआई का 40 लाख गांठों के निर्यात का अनुमान थोड़ा अधिक है। जुलाई तक अगर हम कपास की 28 लाख गांठें निर्यात कर भी ले गए तो अगस्त तक 40 लाख गांठों का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगे।' उल्लेखनीय है कि कपास का फसली सीजन अगस्त में खत्म होता है। (ET Hindi)
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