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12 जून 2009

स्थानीय और विदेशी मांग में बढ़त के साथ मंदी से उबर रहा है हीरा उद्योग

मुंबई June 11, 2009
देश के 80,000 करोड़ रुपये वाले हीरा प्रसंस्करण और गहने बनाने वाले उद्योग को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मांग बढ़ने की वजह से थोड़ी राहत मिली है।
पिछले दो महीने के दौरान अपरिष्कृत हीरे की मांग में तेजी से सुधार हुआ है। इसकी वजह यह है कि दुनिया भर के लगभग आधा दर्जन हीरा खदान कंपनियों ने 60 फीसदी तक खदान के उत्पादन में कटौती की है।
इसी वजह से सभी आकार के अपरिष्कृत हीरे की आपूर्ति में तेजी से कमी आई है इसी वजह से उद्योग में इसकी कमी हो गई है। इस वक्त हीरे की लगभग 100 किस्मों जिसकी साइज 0.01 कैरेट से 3.00 कैरेट तक है इनकी आपूर्ति में कमी आ गई है।
हीरा प्रसंस्करण उद्योग की एक शीर्ष कारोबारी संस्था, जेम्स ऐंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के संयोजक शंकर पंडया का कहना है कि आपूर्ति कम होने की वजह से मांग में कमी आएगी। इसी तरह की स्थिति भारत के हीरा प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए भी है।
दिसंबर में अपरिष्कृत हीरे के आयात को रोकने की के बाद आपूर्ति में कमी आई इसी वजह से भारत में इसका उत्पादन कम हुआ। हालांकि वैश्विक आर्थिक मंदी और पिछले साल सिंतबर में लीमन ब्रदर्स के दिवालिया होने की वजह से मांग में गिरावट आई और इस उद्योग के 4 लाख कुशल कर्मचारियों की नौकरी चली गई।
अगर इन कर्मचारियों को जल्द नौकरी नहीं मिलती है तो यह पूरे सेक्टर के लिए नुकसानदायक होगा। काउंसिल के अध्यक्ष वसंत मेहता का कहना है, 'इस उद्योग ने फिलहाल गिरावट के रुख को दूर कर दिया है और उम्मीद है कि आने वाले महीने में कुछ बेहतर हो सके।'
भारत के गहने के निर्यात का लगभग 90 फीसदी अमेरिकी बाजार के लिए होता था। ऐसे में निर्यातकों के लिए यह बड़ी चिंता की बात है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मंदी को किस तरह दूर कर पाएगी। लेकिन मध्य पूर्व खासतौर पर दुबई से मांग आने की वजह से और चीन के उभरने की वजह से अमेरिका से कारोबारी नुकसान की भरपाई हो गई है। घरेलू गहनों की मांग में भी पिछले दो महीने में तेजी आई है।
मिलेगा रोजगार भी
वैश्विक मंदी के कारण पैदा हुई आर्थिक परेशानियों के चलते जेम्स एंड ज्वेलरी क्षेत्र से पिछले साल चार लाख से भी ज्यादा लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी।
लेकिन एक बार फिर विदेशों से हल्की मांग शुरू हो गई है जिससे बेरोजगार हुए लोगों में से करीबन 10 फीसदी लोगों को वापस कम मिल चुका है और अगले डेढ़ सालों में हीरा कारोबार की पुरानी रौनक पूरी तरह से वापस लौटने की उम्मीद की जा रही है।
उद्योग की खोई हुई चमक वापस लाने के लिए कारोबारियों ने सरकार से मदद की गुहार की है। विदेशों विशेष कर अमेरिका में भारत के तराशे हीरों की मांग में कमी के आने के कारण जनवरी 2008 से नवंबर 2008 तक भारत में करीबन चार लाख कारीगरों के हाथों से काम छूट गया था क्योंकि मांग और कीमत दोनों में कमी होने के वजह से कंपनियों का पहले से ही तैयार माल नहीं निकल पा रहा था।
जीजेईपीसी के चेयरमैन वसंत मेहता के अनुसार पिछले साल के आखिर से ही हल्की मांग शुरू हो चुकी थी और विदेशों में शादी विवाह एवं क्रिसमस तक छूट्टियों की सीजन अभी आना है जिससे अक्टूबर नवंबर तक मांग बनी रहेगी। मेहता को उम्मीद है कि बेरोजगार हुए कारीगरों को अगले डेढ़ सालों में काम मिल जाएगा।
उद्योग की मांगें
जीजेईपीसी ने आगामी बजट में जेम्स एंड ज्वेलरी उद्योग राहत देने की मांग की है। इनकी प्रमुख मांगों में कारोबार करने के लिए डॉलर की उपलब्धता बढ़ाना, ब्याज दरों में कमी, दो साल तक कर अदा करने की छूट, टर्नओवर टैक्स और इम्पोर्ट डयूटी में कमी करना है।
कर्ज लेने में दिक्कत
जीजेईपीसी के चेयरमैन के अनुसार आने वाले साल में इंडस्ट्री को तीन से चार बिलियन डॉलर की जरुरत है जिसको देखते हुए डॉलर की उपलब्धता बढ़ाई जानी चाहिए। मेहता कहते है कि बैंकों से दिये जा रहे ऋणों में दो फीसदी तक की कमी करने के साथ ही बैंकों के रवैये पर भी ध्यान देने की जरुरत है।
इस समय बैंकों ने अपनी प्रक्रिया कड़ी कर दी है, जिससे कारोबारियों को काफी परेशानी होती है। मेहता कहते हैं कि जिन कंपनियों की हालात सही नहीं है उन पर कड़ी नजर रखना तो समझ में आता है लेकिन सरकारी बैंक इस समय छोटे छोटे लोन देते समय भी इतनी ज्यादा कागजी कार्रवाई कराते हैं जिससे कारोबारियों का काफी समय खराब होता है।
उन लोगों की मांग है कि एक्सपोर्ट क्रेडिट लिमिट जो एक अप्रैल 2008 को थी उसको बढ़ाकर 31 मार्च 2011 तक कर देनी चाहिए। मेहता ने बताया कि इसके पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा से हुई बैठक में भी हम लोगों ने इंडस्ट्री को मंदी से उबरने के लिए कुछ प्रस्ताव रख चुके हैं। जिममे आयात शुल्क 10 फीसदी से कम करके 5 फीसदी करने की बात कही कई थी।
कारोबार की स्थिति
जीजेईपीसी के संयोजक एवं डायमंड इंडिया के चेयरमैन प्रवीण पंडया ने बताया कि जेम्स एंड ज्वेलरी का डॉलर में होने वाला आयात पिछले साल के अप्रैल-मई से 30.24 फीसदी कम हुआ है जबकि निर्यात में 25.98 फीसदी की कमी हुई है।
अप्रैल-मई 2008 में कुल निर्यात 395.864 करोड़ अमेरिकन डॉलर था जबकि अप्रैल-मई में 2009 में यह लगभग 293.032 करोड़ अमेरिकन डॉलर ही रहने वाला है। पिछले साल अप्रैल-मई में 389.348 करोड़ अमेरिकन डॉलर का आयात किया गया था जबकि इस बार 271.620 करोड़ डॉलर का ही आयात होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि जेम्स ऐंड ज्वेलरी मैन्यूफेचरिंग में भारत पहले स्थान पर आता है और देश को निर्यात होने वाली कुल आय का 12 फीसदी इस क्षेत्र से होती है। इस उद्योग से देशभर में करीबन 15 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। जिसमें से करीबन 4 लाख लोगों का रोजगार मंदी के चलते छिन चुका है। (BS Hindi)

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