12 जून 2009
तालाबों के पुनरुद्धार के लिए 400 करोड़ रुपये की मांग
देश में बेकार पड़े तालाबों को मछली पालन के लिए उपयुक्त बनाने के लिए नेशनल एसोसिएशन ऑफ फिशरमैन (एनएएफ) ने केंद्र सरकार 400 करोड़ रुपये अनुदान की मांग की है। इससे करीब सात लाख मछली पालकों को सीधे रोजगार मिलेगा और 35 लाख मछली पालकों के परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने में मदद मिलेगी। एनएएफ ने जल संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट को आधार बनाकर सरकार के सामने ये मांगें रखी हैं।एनएएफ के प्रतिनिधियों ने कृषि, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री के.वी. थामस के सामने अपना पक्ष रखा। जिस पर राज्य मंत्री ने गौर करने का आश्वासन दिया है। एनएएफ के कार्यकारी चेयरमैन बी.एस. चौहान ने राज्य मंत्री से नौवीं योजना के तहत मछलीपालकों के कल्याण के लिए दी जाने वाली सभी योजनाओं की दोबारा समीक्षा और उन्हे पुन: जारी करने का भी आग्रह किया है। देश में 96 हजार तालाब बेकार पड़े हैं। उनका कहना है कि इन तालाबों को मछलीपालन के लायक बनाने के लिए प्रत्येक तालाब पर 40,000 रुपये का खर्च आएगा। एनएएफ ने मांग की है कि इन तालाबों को मछली पालकों के समुदाय को ही दिया जाए। तालाबों के बंटवारे में मछली पलकों के परिवार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सरकार मछली पालकों के कल्याण और विकास के लिए उस किसी भी स्कीम और परियोजना को बढ़ावा देगी, जिसे गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा उसके सामने रखा जाएगा। भारत मीठे पानी में किए जाने वाले मछली पालन के क्षेत्र में विश्व में दूसरे नंबर पर है। सरकार की मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की योजनाओं से लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही कुपोषण में भी कमी आने की उम्मीद है। (Business Bhaskar)
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