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13 मई 2009

बढ़ती ही जा रही है चीनी कीमतों की कड़वाहट

नई दिल्ली May 12, 2009
चीनी की कीमत थमने का नाम नहीं ले रही।
थोक कारोबारियों के लिए स्टॉक सीमा, मिल वालों के लिए अतिरिक्त कोटा एवं रिफाइंड से लेकर कच्ची चीनी तक के आयात के बावजूद वायदा बाजार में मई से लेकर सितंबर तक चीनी की कीमत में हर माह 100-150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की जा चुकी है।
मई के लिए वायदा बाजार में चीनी की कीमत 2270 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है तो सितंबर के लिए यह कीमत 2600 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर चुकी है। जून के लिए 2403 रुपये प्रति क्विंटल, जुलाई के लिए 2512 रुपये प्रति क्विंटल तो अगस्त के लिए 2568 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर चीनी के भाव है।
वायदा बाजार में तेजी को देखते हुए महाराष्ट्र के हाजिर बाजार में चीनी का भाव पिछले 10 दिनों के दौरान 2150 रुपये प्रति क्विंटल से उछलकर 2350 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को छू चुका है। चीनी के थोक कारोबारियों का कहना है कि वायदा बाजार में पारदर्शिता के अभाव के कारण चीनी की कीमत लगातार बढ़ रही है।
उनकी मांग है कि वायदा बाजार में हजारों टन चीनी खरीदने एवं बेचने वालों के नाम रोजाना शाम में कारोबार बंद होने के बाद प्रदर्शित किए जाए। ताकि यह पता चल सके कि कौन कितनी चीनी खरीद रहा है और किसके पास कितनी मात्रा में चीनी उपलब्ध है।
थोक कारोबारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सरकार ने थोक कारोबारियों के लिए 200 टन की स्टॉक सीमा तय कर दी, लेकिन वायदा कारोबार में शामिल बड़े खिलाड़ियों के ऊपर कोई अंकुश नहीं है।
उनका यह भी कहना है कि बाजार स्थिर नहीं होने के कारण उन्हें कई बार तेजी में खरीदारी करनी पड़ती है और उसके तुरंत बाद कीमत नीचे आने से उन्हें घटी हुई दर से चीनी बेचना पड़ता है। दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी पिछले एक माह के भीतर चीनी की कीमत में प्रति टन 25 डॉलर तक की तेजी दर्ज की गयी है।
ऐसे में कच्ची चीनी आयात करके आपूर्ति तो बढ़ायी जा सकती है, लेकिन मूल्य पर रोक लगाना मुमकिन नहीं दिख रहा है। सरकार की अधिसूचना के मुताबिक आगामी 31 जुलाई तक कच्ची चीनी के आयात करने वालों को रिफाइंड चीनी की निर्यात शर्त से मुक्त रखा गया है। सरकार ने 10 लाख टन रिफाइंड चीनी के आयात के लिए चार सरकारी एजेंसी को अधिकृत किया है।
दिल्ली के थोक कारोबारियों की यह भी शिकायत है कि स्टॉक सीमा की शर्त दिल्ली सरकार ने गत 20 अप्रैल को ही लागू कर दी जबकि देश के कई राज्यों में खासकर उत्पादक राज्यों के कारोबारियों के ऊपर अब तक स्टॉक सीमा की शर्त नहीं लागू की गयी है। इस साल देश में लगभग 150 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जबकि घरेलू खपत प्रति माह लगभग 20 लाख टन है। (BS Hindi)

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