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06 मई 2009

खेती के मामले में पंजाब राष्ट्रीय औसत से भी नीचे

कभी खेती के मामले में पूरे देश में अहम स्थान रखने वाले पंजाब की कृषि विकास दर पिछले सात साल के दौरान शून्य ही रही। पंजाब न सिर्फ राष्ट्रीय औसत से पिछड़ गया है बल्कि 13वें नंबर पर उतर चुका है। दूसरी ओर इन सात सालों वर्ष 2001-02 से लेकर 2007-08 के दौरान कृषि क्षेत्र के विकास के मामले में गुजरात की रफ्तार देश में सबसे ज्यादा रही। यह जानकारी इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने दी है। प्रमुख अर्थशास्त्री व रिपोर्ट तैयार करने वाले अशोक गुलाटी ने गुजरात की इस सफलता का श्रेय वहां के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया है। कृषि उत्पादन के मामले में अग्रणी राज्य पंजाब की स्थिति अब खराब हो चुकी है। इसकी विकास दर राष्ट्रीय औसत से भी नीचे रही और 13वें क्रम का राज्य रहा। इंस्टीट्यूट ने 19 राज्यों की समीक्षा की है। रिपोर्ट के अनुसार नदियों के मामले संसाधन युक्त उत्तरी राज्य इन सात सालों में सिर्फ दो फीसदी सालाना विकास दर हासिल कर सके। पंजाब में कृषि क्षेत्र का विकास भले ही पहले गौरवपूर्ण रहा हो लेकिन पिछले सात साल में उसकी विकास दर शून्य रही। गुलाटी के अनुसार पंजाब दरअसल समर्थन मूल्य और सब्सिडी पर बुरी तरह निर्भर हो गया। पंजाब में धान उगाए जाने के कारण भूमिगत जल स्तर लगातार घट रहा है। वहां किसानों को इस फसल को छोड़कर दूसरी उच्च मूल्य वाली फसलें उगाने पर ध्यान देना चाहिए।गुलाटी के अनुसार प्रमुख कृषि राज्य उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में कृषि क्षेत्र की विकास दर राष्ट्रीय दर से कम रही। गुलाटी ने बताया कि अनुसंधानकर्ताओं की दिलचस्पी इसमें थी कि गुजरात की कृषि के मोर्चे पर क्या स्थिति है। इसके साथ अन्य राज्य कैसा काम कर रहे हैं। कृषि विकास के मामले में राजस्थान के बाद हिमाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा व उड़ीसा रहे। (Business Bhasakr)

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