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07 मई 2009

अभी हालात नहीं अच्छे, पर जल्द लौटेंगे हीरा उद्योग के दिन चमकीले

May 06, 2009
विश्व की सबसे बड़ी हीरा उत्पादक कंपनी डी बीयर्स की वितरण इकाई डायमंड ट्रेडिंग कंपनी (डीटीसी) का मानना है कि उत्पादन में भारी कटौती की वजह से इस साल के अंत तक कुछ खास तरह के हीरों की आपूर्ति घट सकती है।
डायमंड ट्रेडिंग कंपनी की प्रबंध निदेशक वरदा शाइन ने राजेश भयानी से कहा कि उपहार के तौर पर हीरे का महत्व बना रहेगा और डीटीसी हीरे का प्रचलन बढ़ाने के लिए इस साल की अंतिम तिमाही में अमेरिका में एक अभियान चलाने की योजना बना रही है। बातचीत के अंश:
हाल में बीएचपी को अपरिष्कृत हीरे की नीलामी में अधिक कीमतें मिली थीं। क्या यह हीरा पॉलिशिंग उद्योग के अच्छे दिनों के लौटने का संकेत है?
हम बीएचपी की नीलामी सूचना का भेद नहीं जानते हैं। लेकिन हमने सुना है, और डीटीसी के नजरिये से, और देखा भी है कि साल 2009 के पहले तीन महीनों में लगातार वृध्दि हुई है। वर्ष के दौरान हमने उत्पादन में 40 से 50 फीसदी की कटौती की जबकि उपभोक्ता मांगों में केवल 5 से 10 फीसदी की कमी आई।
निश्चित रुप से कुछ खास तरह के हीरे जैसे सगाई की अंगुठी में प्रयुक्त होने वाले हीरे में इस साल के अंत तक कमी देखी जाएगी क्योंकि इसकी मांग में कमी नहीं आई है। अब खुदरा कारोबारी भी तराशने वाले केंद्रों से हीरा खरीदना शुरू कर चुके हैं। यद्यपि ये सब सकारात्मक संकेत हैं लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी कि हीरा उद्योग प्रतिकूल परिस्थितियों से उबर चुका है।
उत्पादन में लगभग 50 फीसदी कटौती का क्या यह मतलब है कि भारतीय हीरा परिष्करण उद्योग के कारोबार में भी उतनी ही गिरावट आएगी?
ऐसा नहीं है। जब हम यह कहते हैं कि हमने उत्पादन में कटौती की है तो इसका मतलब कीमतों से होता है और इसलिए यह परिमाण के हिसाब से की जाने वाली 40 से 50 फीसदी की कटौती नहीं है। दूसरी बात यह है कि हम केवल अपरिष्कृत हीरे की ही आपूर्ति नहीं करते हैं।
हमारी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत की है। इसलिए अगर डीटीसी उत्पादन में 40 से 50 प्रतिशत की कटौती करता है तो इसका मतलब यह नहीं हुआ कि कटिंग और परिष्करण उद्योग के कारोबार में भी इतनी गिरावट होगी। निश्चय ही उनमें समेकन देखा जा सकता है और यह शुभ संकेत है। वे बाजार की वास्तविकताओं के साथ खुद को समायोजित कर रहे हैं।
क्या हम कह सकते हैं कि साल 2010 में हमें वर्ष 2008 जैसा ही अच्छा वक्त देखने को मिलेगा?
साल 2008 एक भ्रम था। अपरिष्कृत हीरे कि खरीदारी कुछ इस प्रकार की जा रही थी मानो प्रत्येक सप्ताह कीमतें बढ़ने वाली हैं। कंपनियों ने इस बात की पुख्ता गणना नहीं कि थी परिष्करण के बाद वे हीरे को किस कीमत पर बेचेंगे। बेहतर है हमें ऐसा वर्ष फिर से नहीं देखना पड़े।
लेकिन इस साल हम चौथी तिमाही में परिष्कृत हीरों के लिए अमेरिका में एक विशेष वैचारिक अभियान चलाने जा रहे हैं। इसके लिए हम कुछ बौध्दिक संपदाओं के लिए भारतीय साइटधारकों को भी लाइसेंस देंगे।
हमारा अनुमान है कि जून तक उनके साथ समझौता हो जाएगा। वहां हीरा संबंधों के प्रतीक, दीर्घावधि के मूल्यों और वैसी चीज जो हमेशा के लिए है, के रूप में पेश की जाएगी। इन प्रयासों से हीरा उद्योग की चमक लौटने की संभावना है।
उपहार के वस्तु तौर पर हीरे को अन्य वस्तुओं की प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। किस प्रकार इसके आकर्षण को वापस लाया जा सकता है?
उपभोक्ताओं पर किए हमारे सर्वेक्षणों से पता चलता है कि उपहार के रूप में हीरे को अभी भी प्रथम या द्वितीय स्थान पर तरजीह दी जा रही है। इस विषय नवीनतम सर्वेक्षण पिछले साल के अंत में कराया गया था। उपभोक्ता हीरे को दीर्घावधि के मूल्य, स्टेटस सिंबल और उपहार के रुप में देखते हैं। आर्थिक हालात में सुधार होने से हीरे का आकर्षण फिर से लौट आएगा। (BS Hindi)

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