अहमदाबाद/लखनऊ May 06, 2009
आम के उत्पादन में लभगभ 20 फीसदी तक की कमी आ सकती है क्योंकि इस साल इसकी फसल को जबरदस्त नुकसान हुआ है।
कृषि मंत्रालय के शुरुआती अनुमानों के मुताबिक आम के उत्पादन में 10 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। पिछले हफ्ते उत्तरी भारत में फसल में बीमारी लगने की वजह से उत्पादन में कमी जैसी स्थिति पैदा हो गई।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है, 'गुजरात और महाराष्ट्र के आम उत्पादन पर खराब मौसम की मार पड़ी है। लेकिन हाल के ताजा सर्वे के मुताबिक देश के उत्तरी और दक्षिणी भागों में आम की फसल सामान्य ही है। इस साल पूरे देश भर में आम के उत्पादन में औसतन 10 फीसदी से कम ही कमी आएगी।'
लेकिन यह टिप्पणी उत्तरी भारत के दशहरी आम में बीमारी लगने से पहले ही दी गई थी। मंत्रालय के पास मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2006-07 में आम का कुल उत्पादन लगभग 1.35 करोड़ टन था।
वर्ष 2007-08 के लिए आधिकारिक आंकड़ें मौजूद नहीं है लेकिन उद्योग के अनुमान के मुताबिक पिछले साल लगभग 1.19 करोड़ टन आम का उत्पादन किया गया था। मौजूदा साल में आम की फसल 1 करोड़ टन तक हो सकती है।
आम की केसर किस्म निर्यात बाजार में बेहद मशहूर है। कम उत्पादन और वैश्विक मंदी की वजह से इस साल निर्यात में कमी आ सकती है जिसमें केसर और अलफॉन्सो किस्म शामिल है। आम के उत्पादक, निर्यातक और सरकारी अधिकारियों को ऐसा यकीन है कि गुजरात में उत्पादन इस साल धीरे-धीरे कम ही होगा।
राज्य हॉर्टीकल्चर विभाग के आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2007-08 में आम का उत्पादन 930,000 टन पर पहुंच गया और कुल रकबा 109,000 हेक्टेयर था। आमलसार मैंगो कोऑपरेटिव सोसायटी के सचिव हेमंत नायक का कहना है, 'खराब मौसम के मद्देनजर, हमें उम्मीद है कि दक्षिणी गुजरात में आम का उत्पादन पिछले साल के कुल उत्पादन की तुलना में महज 20 फीसदी ही होगा। दक्षिणी गुजरात की सभी आठ सहकारी संस्थाओं ने पिछले साल 1,000 टन आम की खरीद की थी।'
गुजरात के एक बड़े फल निर्यातक, देसाई फू्रट्स ऐंड वेजीटेबल्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत देसाई का कहना है, 'सर्दी का मौसम अपेक्षाकृत गर्मी होने की वजह से आम के फूल लगने की प्रक्रिया में काफी देरी हुई। इस साल हमें 20 फीसदी तक ही फसल मिल पाई है। केसर किस्म की आम की आवक मई से शुरु होगी।
गुजरात बाजार में आम की आपूर्ति कम होगी।' उत्तर प्रदेश के दशहरी आम के क्षेत्र में इस साल रौनक नहीं दिखेगी क्योंकि कुछ क्षेत्रों में 90 फीसदी तक की फसल बर्बाद हो गई है। नतीजतन निर्यातक अब ऑडर्र नहीं ले रहे हैं।
उत्तर प्रदेश आम निर्यात परिषद के अध्यक्ष शेख इंसराम अली ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि उत्तर प्रदेश के मलीहाबाद, सहारनपुर और अमरोहा से पश्चिमी एशिया और सिंगापुर में दशहरी आम का निर्यात किया जाता है। उनके मुताबिक निर्यात में 30-40 फीसदी तक की कमी आई है।
यूपी से आम के सबसे बड़े निर्यातक शहनाज एक्सर्पोट के नदीम सिद्दकी का कहना है कि सहारनपुर और अमरोहा में 50 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है। नदीम लंगड़ा और चौसा आम के पहले निर्यातक है उनका कहना है कि इस साल लगभग 20 टन इन दोनों किस्म की आम का निर्यात किया जाएगा।
सिद्दकी ने पिछले साल कहा कि लगभग 900 टन महाराष्ट्र का अलफॉन्सो और गुजरात से केसर आम का निर्यात यूरोप, अमेरिका और खाड़ीदेशों में समुद्री रास्ते के जरिये किया गया। उनका कहना है कि इस साल लगभग 980 से 1,000 टन अलफॉन्सों आम का निर्यात किया जाएगा।
इंसराम अली का कहना है कि यूपी से हर साल लगभग 2,400 करोड़ रुपये आम का कारोबार किया जाता था लेकिन इस साल किसानों को 500 करोड़ रुपये से ज्यादा कारोबार नहीं होने की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल में इस साल रिकॉर्ड स्तर पर आम उत्पादन में कमी होने की संभावना है।
सबसे ज्यादा आम का उत्पादन करने वाले जिले मालदा और मुर्शिदाबाद में आम के फूल लगने में लगभग 70 फीसदी तक की गिरावट देखी गई है। पिछले साल पश्चिम बंगाल में 623,000 टन आम का उत्पादन हुआ जिसमें से कुल उत्पादन में मालदा और मुर्शिदाबाद का हिस्सा 50 फीसदी से ज्यादा है।
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के एक किसान तरुण घोष का कहना है कि आम के फूल में 50 फीसदी तक की कमी आई है। (BS Hindi)
07 मई 2009
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