कोलकाता May 06, 2009
लॉन्ग उत्पादों के बाद प्रमुख इस्पात कंपनियां अब कोल्ड रोल्ड और गैल्वेनाइज्ड इस्पात की कीमतें 500 से 1,000 रुपये प्रति टन बढ़ाने पर विचार कर रही हैं।
इस्पात की इन किस्मों का इस्तेमाल ऑटो और उपभोक्ता टिकाऊ उद्योगों द्वारा किया जाता है। भूषण स्टील और जेएसडब्ल्यू स्टील मूल्य वृध्दि पर अगले सप्ताह निर्णय लेंगी जबकि उत्तम गैल्वा स्टील पहले ही इनकी कीमतें बढ़ा चुकी है।
भूषण स्टील के प्रबंध निदेशक नीरज सिंघल ने कहा, 'हम इस महीने प्रति टन 500 से 1,000 रुपये की बढ़ोतरी की बात कह रहे हैं लेकिन उपभोक्ता इसके खिलाफ हैं।' जेएसडब्ल्यू स्टील इस बात पर विचार कर रही है कि कीमतें इस महीने के मध्य से बढ़ाई जाए या फिर अगले महीने से।
दूसरी तरफ उत्तम गैल्वा पिछले महीने ही कोल्ड रोल्ड और गैल्वेनाइज्ड इस्पात की कीमतें 1,000 रुपये से 3,000 रुपये प्रति टन बढ़ा चुकी है। कीमतों में बढ़ोतरी करने के दो कारण हैं। एक तो बाजार में अभी सीमित आपूर्ति हो रही है क्योंकि अभी तक कुछ हॉट रोल्ड उत्पादकों ने अपनी 100 प्रतिशत क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।
इसके अलावा कोल्ड रोलर्स को उम्मीद है कि प्रस्तावित संरक्षण शुल्क की वजह से हॉट रोल्ड उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी। और इस वजह से कारोबारी माल जमा करने में लगे हैं। उत्तम गैल्वा के सूत्रों ने बताया कि कंपनी के पास काफी ऑर्डर थे लेकिन और अधिक उत्पादन की क्षमता कंपनी में नहीं है।
हालांकि जेएसडब्ल्यू के अध्यक्ष (बिक्री) जयंत आचार्य ने हॉट रोल्ड की कीमतें बढ़ाने की बात से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि गैल्वेनाइज्ड इस्पात की कीमतें जस्ते की कीमतों में हुई बढ़ोतरी की वजह से बढ़ सकती हैं। उल्लेखनीय है कि जस्ता गैल्वोनाइज्ड इस्पात का प्रमुख घटक है।
जस्ते की कीमतें पिछले एक महीने में 1,000 डॉलर प्रति टन से बढ़ कर 1,400 डॉलर प्रति टन हो गई है। आचार्य ने कहा संरक्षण शुल्क के बाद भी हॉट रोल्ड उत्पादों की कीमतें बढ़ाना संभव नहीं होगा।
इस्पात इंडस्ट्रीज के निदेशक (वित्त) अनिल सुरेका ने कहा कि कंपनी ने इस महीने हॉट रोल्ड उत्पादों की कीमतें नहीं बढ़ाई हैं और अगले महीने की कीमतों के बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। औद्योगिक सूत्रों के अनुसार, आज इस्पात मंत्रालय के अधिकारियों और एकीकृत इस्पात उत्पादकों के बीच संरक्षण शुल्क लेकर गहन बैठक हुई है।
कोल्ड रोल्ड और गैल्वेनाइज्ड इस्पात की कीमतों की समीक्षा हाल में लॉन्गग उत्पादों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के बाद हुई है। लांग उत्पादों का इस्तेमाल प्रमुख रूप से निर्माण उद्योग में किया जाता है। टाटा स्टील और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड ने नौ महीने बाद कीमतों में 300 से 1,000 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी की है।
कुछ द्वितीयक स्टील निर्माताओं ने भी कीमतों में बढ़ोतरी की है। पिछले साल के जून-जुलाई के कीमतों के शीर्ष स्तर से इस्पात की कीमतों में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। हालांकि, घरेलू बाजार की परिस्थितियां अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में अभी भी बेहतर हैं।
वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन, जो तकरीबन 180 इस्पात उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें से 20 विश्व के सबसे बड़े इस्पात उत्पादक हैं, के अनुसार भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां साल 2009 में इस्पात की खपत बढ़ने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष इस्पात के इस्तेमाल में 14.9 फीसदी की कमी आने के आसार हैं जबकि भारत में यह दो प्रतिशत बढ़ेगा। (BS Hindi)
07 मई 2009
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