नई दिल्ली May 08, 2009
बढ़ते आयात से घरेलू उत्पादों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से सरकार कम से कम चार और उत्पदों पर संरक्षण शुल्क लगाने पर विचार कर रही है।
सरकारी अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि वित्त मंत्रालयस के तहत आने वाले डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सेफगार्ड्स घरेलू उत्पादकों की इस मामले से जुड़ी चार शिकायतों पर विचार कर रहा है।
इस घटनाक्रम से जुड़े एक सरकारी अधिकारी ने बताया, 'अगर डायरेक्टरेट आवेदनों को उचित पाता है तो पहुंची क्षति को सुनिश्चित करने के लिए जांच शुरू की जाएगी।' ये उत्पाद रसायन, धातु और कुछ विनिर्मित चीजों से संबध्द हैं।
संरक्षण शुल्क एक आपातकालीन आयात शुल्क है जिसे अस्थायी तौर पर उन उत्पादों पर लगाया जाता है जिनके आयात में असाधारण तेजी देखी जा रही हो। वर्तमान आर्थ्ज्ञिक संकट की वजह से मांग घटने से विदेशी कंपनियां कम से कम अपनी लागत निकालने के उद्देश्य से काफी कम कीमतों पर उत्पादों का निर्यात करना शुरू कर दिया है।
जनवरी से अप्रैल की अवधि में डीजीएस ने 13 उत्पादों की जांच शुरू की जिनमें से अधिकांश धातुओं और रसायन से संबध्द थे। अपनी प्राथमिक जांच के आधार पर इसने 11 उत्पादों पर अस्थायी संरक्षण शुल्क लगाने का सुझाव दिया। सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज ऐंड कस्टम्स ने सोडा ऐश, एल्युमीनियम के कुछ खास उत्पादों और खास रसायनों पर शुल्क लगा चुका है।
घरेलू उत्पादकों, आयातकों और उत्पादों के निर्यातकों से विचार विमर्श करने के बाद डायरेक्ट अपनी प्राथमिक जांच के आधार पर 200 दिनों की अवधि के लिए अस्थायी संरक्षण शुल्क लगाए जाने का सुझाव दे सकता है। इसके लिए घरेलू उद्योग को साबित करना होता है कि आयात बढ़ने से उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। (BS Hindi)
11 मई 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें