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14 मई 2009

पैदावार और बकाया स्टॉक कम होने से कालीमिर्च में तेजी

पैदावार में कमी और स्टॉकिस्टों की सक्रियता से पिछले एक सप्ताह में कालीमिर्च के भावों में करीब ढाई फीसदी की तेजी दर्ज की गई। चालू सीजन में पैदावार में तो 5000 टन की कमी आने की आशंका है ही, साथ ही बकाया स्टॉक भी पिछले साल से कम है। वियतनाम में नई फसल की आवक चल रही है तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में वियतनाम द्वारा भाव घटाकर बिकवाली की जा रही है। लेकिन देश में कालीमिर्च की कुल उपलब्धता में कमी और घरेलू मांग अच्छी होने से मौजूदा भावों में तेजी की ही संभावना है।कोच्चि मंडी स्थित मैसर्स केदारनाथ संस के अजय अग्रवाल ने बताया कि केरल के उत्पादक क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम से पैदावार घटी है। चालू सीजन में देश में इसकी पैदावार 45,000 टन होने की संभावना है। जबकि पिछले वर्ष 50,000 टन की पैदावार हुई थी। पिछले साल नई फसल के समय बकाया स्टॉक भी 8,000-10,000 टन का बचा हुआ था लेकिन चालू वर्ष में बकाया स्टॉक मात्र 5,000 टन का ही बचा हुआ है। ऐसे में कुल उपलब्धता पिछले वर्ष के 60,000 टन के मुकाबले घटकर 50,000 टन ही होने की संभावना है। पैदावार में कमी के कारण ही कालीमिर्च में इस समय घरेलू मांग अच्छी बनी हुई है। अत: पिछले एक सप्ताह में इसकी कीमतों में 3,00 रुपये की तेजी आकर एमजी वन की कीमतें 12,800 रुपये और अनगार्बल्ड के भाव 12,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।बंगलुरू के कालीमिर्च निर्यातक अनीश रावथर ने बताया कि इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय कालीमिर्च के भाव 2650 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) चल रहे हैं। जबकि वियतनाम की कालीमिर्च के भाव 2350 डॉलर और इंडोनेशिया की कालीमिर्च के भाव 2250 डॉलर प्रति टन चल रहे हैं। वियतनाम में भाव कम होने के कारण पिछले डेढ़-दो महीने में वियतनाम से करीब 4,000 टन कालीमिर्च का भारत में आयात हो चुका है। इस दौरान इंडोनेशिया से करीब 1,000 टन का आयात हुआ है। भारत वियतनाम, इंडोनेशिया और श्रीलंका से कालीमिर्च का आयात कर पाउडर बनाकर निर्यात करता है। प्रोसेसिंग के बाद काली निर्यात करने के लिए कालीमिर्च का आयात शून्य शुल्क पर किया जाता है जबकि वैसे आयात पर 70 फीसदी आयात शुल्क लगता है। श्रीलंका में कालीमिर्च का उत्पादन मुख्यत: जाफना में होता है। श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के बीच संघर्ष के कारण चालू सीजन में श्रीलंका से आयात नहीं हो रहा है। वियतनाम में कालीमिर्च की पैदावार 80 से 90 हजार होने की संभावना है। भारतीय कालीमिर्च के भाव तेज होने के कारण भारत से निर्यात मांग कमजोर चल रही है। हालांकि भारतीय कालीमिर्च की क्वालिटी अन्य देशों के मुकाबले बेहतर होती है। वित्त वर्ष 2008-09 के (अप्रैल-08 से फरवरी-09) तक देश से कालीमिर्च के निर्यात में लगभग 26.5 फीसदी की कमी आई है। मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार इस दौरान कालीमिर्च का निर्यात घटकर 23,350 टन का हुआ है। जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में निर्यात 31,760 टन का हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)

1 टिप्पणी:

Pradeep Kumar ने कहा…

achchhi khabar hai . lekin teen baar upload kyon ki?
khair ek hi jagah alag alag khabar padhkar achchha lagta hai.
badhaai