14 मई 2009
राजस्थान में बढ़ेगा कपास का रकबा
केंद्र सरकार की ओर से पिछले वर्ष समर्थन मूल्य में चालीस फीसदी तक बढ़ोतरी के चलते इस साल राजस्थान में कपास का रकबा बढ़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं। उधर, राज्य के सिंचित क्षेत्रों में कपास की बुवाई का काम 15 जून तक पूरा हो जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। राजस्थान कृषि निदेशालय के मुताबिक आठ मई तक अकेले श्रीगंगानगर जिले में ही करीब 45 हजार हैक्टेयर में कपास की बुवाई होने के साथ हनुमानगढ़ जिले में भी बुवाई में तेजी आ गई है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि पिछले वर्ष राज्य में 3.78 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई की गई थी। इसमें से अस्सी फीसदी इलाका सिंचित क्षेत्र होने के साथ श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले में ही आता है। हालांकि राज्य के बीकानेर, नागौर, जोधपुर और ब्यावर समेत कुछ और इलाकों में भी कपास की पैदावार की जाती है लेकिन असिंचित क्षेत्र होने के कारण इनमें मानसून आने पर बुवाई शुरू होती है। निदेशालय के मुताबिक कपास की बुवाई की सही तस्वीर तो 15 जून के बाद ही सामने आ पाएगी। लेकिन यह तय है कि किसान ग्वार की तुलना में कपास को प्राथमिकता दे रहे हैं।कपास का रकबा बढ़ने की संभावना के बार में श्रीगंगानगर के थोक व्यापारी मनोज कुमार जाजू का कहना है कि ग्वार के भाव कम होने के कारण इस साल किसानों में कपास के प्रति झुकाव बढ़ा है। राजस्थान में कपास और ग्वार की पैदावार के लिहाज से हरियाणा व पंजाब से जुड़े श्रीगंगानगर और हनुमानगढ जिलों को महत्वपूर्ण माना जाता है। इन दोनों जिलों में अधिकांश इलाका नहरी होने के कारण सिंचित क्षेत्र में आने से अप्रैल के अंतिम सप्ताह से ही कपास की बुवाई शुरू होने के साथ 15 मई के बाद गति पकड़ लेती है। (Business Bhaskar)
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