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06 मई 2009

बादाम के स्वाद का वायदा

नई दिल्ली 05 05, 2009
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) जल्द ही बादाम का वायदा कारोबार शुरू करने जा रहा है।
एमसीएक्स को वायदा बाजार आयोग से इसकी अनुमति मिल चुकी है। अब तक बादाम का कारोबार हाजिर बाजार तक ही सीमित था, लिहाजा एमसीएक्स बादाम वायदा शुरू करने वाला देश का पहला एक्सचेंज होगा।
बादाम वायदा शुरू होने के साथ ही इसके कारोबार से जुड़े व्यापारियों को हेजिंग की सुविधा मिल जाएगी। एमसीएक्स के सूत्रों ने यह जानकारी दी। नवी मुंबई और दिल्ली ड्राई फ्रूट के बड़े बाजार हैं। इन बाजारों में मौजूद सूत्रों के अनुसार हाल में बादाम की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया है और इस वजह से कारोबारी परेशान हैं।
उनका कहना है कि विदेशों से आयात होने वाले बादाम की कीमत में इसके यहां पहुंचते-पहुंचते काफी घटबढ़ हो जाती है और इसका खामियाजा व्यापारियों व आयातकों को भुगतना पड़ता है। अभी तक इस जोखिम से बचने का कोई रास्ता नहीं था और सूत्र बताते हैं कि एमसीएक्स ने ऐसी परिस्थिति देखकर ही बादाम वायदा में उतरने का फैसला किया।
ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि एमसीएक्स में बादाम वायदा शुरू होने के बाद कारोबारी हेजिंग के जरिए इस जोखिम को कम करने में कामयाब हो पाएंगे। फिलहाल हाजिर बाजार में बादाम की कीमत 320 रुपये प्रति किलो के आसपास है और इसका सालाना कारोबार करीब दो हजार करोड़ रुपये का है।
एमसीएक्स में बादाम वायदा सौदों के लिए लॉट साइज 500 किलो का होगा और दैनिक आधार पर भाव की घटबढ़ सीमा चार फीसदी की होगी यानी कीमत में अगर चार फीसदी की बढ़ोतरी होगी या फिर चार फीसदी की कमी होगी तो सर्किट लगा दिया जाएगा। सर्किट का मतलब है कारोबार को थोड़ी देर के लिए रोक देना ताकि भाव स्थिर हो सके।
शुरुआत में एमसीएक्स सितंबर और अक्टूबर का अनुबंध उपलब्ध कराएगा। इन दोनों अनुबंधों की शुरुआती मार्जिन राशि 5 फीसदी की होगी। इसकी टिकट साइज 25 पैसे रखी गई है यानी भाव में उतार-चढ़ाव 25 पैसे या 25 पैसे के गुणक में हो सकेगा। एमसीएक्स ने इसका डिलिवरी सेंटर मुंबई और दिल्ली में बनाया है।
भारत में इसका उत्पादन जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में होता है। जम्मू-कश्मीर के हॉटिकल्चर डिपार्टमेंट के सूत्रों के मुताबिक साल 2007 में इसका उत्पादन 13 हजार टन रहा जबकि एक साल पहले यह 11 हजार टन रहा था।
भारत में सालाना करीब 28 हजार टन बादाम की खपत होती है जो कि खाने के साथ-साथ तेल, इत्र और सौंदर्य प्रसाधन में इस्तेमाल होता है। भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर हिस्सा आयात से पूरी करता है। यहां से बादाम का निर्यात नहीं होता क्योंकि यहां के बादाम की क्वॉलिटी अंतरराष्ट्रीय मापदंड में खरी नहीं उतर पाती।
वायदा में पैठ
देश में पहली बार शुरू होगा बादाम वायदा कारोबारमेवा कारोबारियों को मिलेगा हेजिंग का हथियारभारत में 2000 करोड़ का है बादाम का सालाना कारोबार कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश में पैदावार (BS HIndi)

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