22 जनवरी 2009
खाड़ी के देशों को बढ़ सकता है भारतीय बासमती का निर्यात
केंद्र सरकार द्वारा बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में कमी और निर्यात शुल्क हटाने से विश्व बाजार में भारत की स्थिति मजबूत हो सकती है। इस कदम से सीधे तौर पर खाड़ी देशों को निर्यात में इजाफा होने की संभावना जताई जा रही है।हालांकि यूरोपीय देशों के लिए भारतीय बासमती को अभी भी बाजार नही मिल पाएगा। सरकार ने बुधवार को बासमती चावल का एमईपी 100 डॉलर प्रति टन घटाकर 1100 डॉलर प्रति टन कर दिया था। इसके अलावा बासमती चावल पर 8000 रुपये प्रति टन का निर्यात शुल्क भी समाप्त कर दिया है। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि सरकार के इस फैसले के बाद भारतीय बासमती चावल 140 डॉलर प्रति टन सस्ता हो जाएगा। जिससे खाडी देशों विशेषकर सऊदी अरब को हमारे निर्यात में बढ़त हो सकती है। इसके विपरीत इस कमी के बावजूद भारतीय बासमती चावल यूरोपीय बाजार में पाकिस्तानी बासमती चावल से महंगा रहेगा। मौजूदा समय में यूरोप को भारत से निर्यात अनपॉलिश्ड ब्राउन राइस करीब 1100 डॉलर प्रति टन पड़ रहा है। जबकि पाकिस्तान अपने यहां से करीब 800 डॉलर प्रति टन के औसत भाव पर बासमती चावल का निर्यात कर रहा है। सेतिया ने बताया कि सरकार के इस फैसले के बाद कांडला, मूंदड़ा और अन्य बंदरगाहों पर रखा करीब 50,000- 60,000 टन बासमती चावल जल्द ही निर्यात हो सकेगा। भारतीय बासमती चावल की विदेश में मांग हल्की पड़ने से कई माह से यह माल बंदरगाहों पर पड़ा है।सरकार के इस फैसले के बाद घरेलू बाजार में बासमती चावल महंगा होने लगा है। बुधवार को दिल्ली में बासमती चावल के दाम 100-200 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गए। बासमती कॉमन राइस 100 रुपये बढ़कर 5200- 5600 रुपये, पूसा 1121 करीब 200 रुपये बढ़कर 4100-4700 रुपये प्रति `िंटल पर बिका। इसके विपरीत गैर बासमती चावल पर इस फैसले का कोई असर नहीं देखने को मिला। बुधवार को दिल्ली में गैर बासमती चावल की कीमतें पूर्व स्तर पर टिकी रहीं। इस दौरान परमल कच्चा चावल करीब 1400-1450 रुपये और परमल वंड का भाव 1520-1580 रुपये `िंटल रहा। सरकार ने घरेलू बाजार में उपलब्धता बनाए रखने के लिए पिछले अप्रैल में 1200 डॉलर प्रति टन का एमईपी तय कर दिया था। मई में 8000 रुपये प्रति टन निर्यात मूल्य भी लगा दिया गया था। विश्व बाजार में मूल्य गिरावट शुरू होने पर निर्यात शुल्क के कारण भारतीय बासमती निर्यात में महंगा पड़ने लगा। जिससे भारतीय बासमती का निर्यात गिरने लगा और पाकिस्तानी बासमती को इसका फायदा मिला। घरलू स्तर पर चावल का बंपर उत्पादन को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है। सरकारी अनुमान के मुताबिक इस साल देश में करीब 8.32 करोड़ टन चावल का उत्पादन होने की उम्मीद है। (Business Bhaskar)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें