23 जनवरी 2009
नुकसान से परेशान नाफेड ने की वित्तीय मदद की गुहार
निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी नाफेड को काफी भारी पड़ी है। निजी कंपनियों के साथ मिलकर गैर कृषि क्षेत्र में कारोबार से मोटा नुकसान खाए बैठे नाफेड ने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। उसने सरकार से 2000 करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त कर्ज सुलभ कराने की मांग की है।केंद्र सरकार को दिए अपने प्रस्ताव में नाफेड ने कहा है कि उसे 15 साल के लिए 1000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त लोन दिया जाए। जिससे वह गैर कृषि कारोबार के लिए जुटाए गए कर्जो का पुनभरुगतान कर सके। इसके अलावा अपनी कृषि कारोबारी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त 1000 करोड़ रुपये की कार्यशील पूजी की मांग की है। नाफेड के प्रबंध निदेशक यू. के. एस. चौहान ने बिजनेस भास्कर को बताया कि नाफेड पर टाई-अप व्यापार के लिए जुटाए गए लोन के ब्याज की देनदारियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसी हालत में नाफेड को अपने कृषि कारोबारी गतिविधियों को सुचारु रखने में भी वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसी को देखते हुए हमने सरकार से ब्याज मुक्त लोन की मांग की है। अभी नाफेड पर विभिन्न बैंको का 1075 करोड़ रुपये बकाया है। जिस पर नाफेड को वित्त वर्ष 2007-08 में 135 करोड़ रुपये का ब्याज देना पड़ा। इस साल ब्याज दर बढ़ने से ब्याज भुगतान में और बढ़ोतरी होने का अनुमान है। नाफेड को देनदारियों के ब्याज भुगतान ने वित्त वर्ष में 2007-08 में कारोबारी गतिविधियों का न सिर्फ सारा मुनाफा सोख लिया, बल्कि 56.69 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा। ब्याज भुगतान नहीं करना पड़ता हो उसे 100 करोड़ रुपये का लाभ होता। चौहान ने बताया कि यदि हमें ब्याज मुक्त लोन नहीं मिलता है तो हमारी ब्याज देनदारियां बढ़ने से वित्तीय मुश्किल और बढ़ जाएगी। जिससे कृषि कारोबारी गतिविधियां चलाना भी मुश्किल हो जाएगा। इसको देखते हुए हमने सरकार से जल्द मदद की मांग की है। नाफेड ने वर्ष 2003 में टाइ-अप कारोबार की शुरुआत की थी। जिसमें नाफेड ने 62 निजी कंपनियों से समझौता कर गैर-कृषि कारोबार में बैकों से लोन लेकर 3962.24 करोड़ रुपये का निवेश किया । इसके अंतर्गत उसने कई कंपनियों को कारोबार शुरू करने के लिए एडवांस भुगतान किया था। लेकिन अनेक फर्जी कंपनियां नाफेड का पैसा लेकर गायब हो गई। इस तरह टाइ-अप कारोबार में नाफेड को नुकसान हुआ। नाफेड की कई निजी कंपनियों पर करीब 1495 करोड़ रुपये बाकी थे जिसमें से करीब 400 करोड़ रुपये की वसूली कर ली गई है। अभी भी नाफेड का 27 कंपनियों पर देनदारी बकाया है। लेकिन इनमें से अनेक कंपनियां गायब हैं। काफी प्रयासों के बाद भी नाफेड अनेक कंपनियों से बकाया वसूलने में विफल रहा है। (Business Bhaskar)
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