कोच्चि January 23, 2009
वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने प्रयोगात्मक तौर पर काली मिर्च, रबर और मेंथा तेल के लिए अर्ली डिलिवरी सिस्टम (ईडीएस) लॉन्च किया है। इसी हफ्ते (19 जनवरी) एफएमसी ने इस बारे में एक परिपत्र जारी किया है।
ईडीएस के प्रावधानों के अनुसार निकट माह की सीमा अनुबंध समाप्त होने के अंतिम सात कारोबारी दिनों पर लागू होगा। अर्ली डिलिवरी अवधि अनुबंध समाप्त होने की तिथि के 14 दिन पहले (ई-14) से लेकर एक दिन पहले (ई-1) तक उपलब्ध होगी।ई-14 से ई-8 की अवधि के दौरान ग्राहकों के पोजीशन के सामान्य स्तर की सीमा बनी रहेगी। हेजिंग करने वाले एक्सचेंज द्वारा तय की गई उच्चतम सीमा का लाभ उठाना जारी रखेंगे। अगर, विक्रेता और क्रेता के लक्ष्य मेल खाते हैं तो भौतिक डिलिवरी के जरिये पोजीशन समाप्त की जा सकती है। निकट माह की सीमा ई-7 से अनुबंध की समाप्ति तक बनी रहेगी। इस अवधि में भी अगर क्रेता और विक्रेता के लक्ष्य मेल खाते हैं तो वे भौतिक डिलिवरी के जरिये अपने पोजीशन समाप्त कर सकते हैं।अगर, डिलिवरी के लिए क्रेता और विक्रेता के लक्ष्य मेल नहीं खाते हैं तो ई-1 दिवस की बंदी के बाद इस तरह की डिलिवरी के लक्ष्य स्वत: समाप्त हो जाएंगे। अगर के्रता और विके्रता के इरादे नहीं मिलते तो वे इसे ई-14 से ई-1 की अवधि तक सौदे समाप्त कर सकते हैं। अगर डिलिवरी के इरादे मेल खाते हैं तो पे-ईन और पे-आउट को टी+2 आधार पर पूर्ण किया जाएगा। 'टी' का अभिप्राय उस दिन से है जब क्रेता और विक्रेता के लक्ष्य का मेल हुआ था।इरादे मिलने के बाद डिलिवरी में डीफॉल्ट के मामले में सजा के प्रावधान आवश्यक डिलिवरी अनुबंधों के डीफाल्ट जैसे होंगे। अनुबंध की समाप्ति के बाद, सभी बकाये पोजीशन का निपटान डिलिवरी के माध्यम से किया जाएगा और डिलिवरी डीफॉल्ट के प्रावधान आवश्यक डिलिवरी में डीफॉल्ट जैसे लागू किए जाएंगे। परिपत्र के अनुसार, ये प्रावधान काली मिर्च, मेंथा तेल और रबर के सभी वायदा अनुबंधो पर लगाए जाएंगे। वायदा बाजार आयोग का यह परिपत्र काली मिर्च के जनवरी 2009 के कारोबार की डिलिवरी से जुड़े कुछ मुद्दों के बाद आया है। भौतिक भंडार घट कर 1,000 टन होने से जनवरी अनुबंध की डिलिवरी में डीफॉल्ट की संभावना जताई जा रही थी। (BS Hindi)
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