नई दिल्ली January 22, 2009
खाद्य तेल उद्योग ने केंद्र सरकार से बिना देर किए हुए सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को निर्धारित करने के लिए कहा है। इन उद्योगों का कहना है कि बुआई खत्म होने के बाद अगर इसकी घोषणा की जाती है तो यह अच्छा नहीं होगा।
मुंबई के सॉल्वेंट एक्सटै्रक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने अपने एक बयान में आज कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने वाली प्रमुख एजेंसी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ने एक महीने पहले ही सफेद सरसो का समर्थन मूल्य 100 रुपये बढ़ाकर 1,900 प्रति क्विंटल करने की सिफारिश थी। एसईए के अध्यक्ष अशोक सेतिया का कहना है, 'देश के कुछ हिस्सों में सफेद सरसों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है। अगले 15 दिनों में इसकी कटाई भी शुरू हो जाएगी। एमएसपी की घोषणा हो जाने से किसानों को यह आश्वासन मिलता है कि उन्होंने फसल पर जितना खर्च किया है उस लिहाज से उनका मुनाफा भी हो पाएगा या नहीं। लेकिन एमएसपी की घोषणा नहीं होने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।'सेतिया का कहना है, 'यह बेहद जरूरी है कि एमएसपी की घोषणा बिना देर किए की जाए। एमएसपी की देर से घोषणा तो एक चलन ही बन चुका है।' खरीफ फसलों के एमएसपी की घोषणा भी पिछले साल सितंबर में की गई थी जब बुआई लगभग पूरी हो चुकी थी।उनका कहना है कि रबी फसलों के एमएसपी की घोषणा आमतौर पर अक्टूबर के अंत में की जानी चाहिए। पिछले साल के मुकाबले सफेद सरसों का रकबा 57.5 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 65.9 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस संगठन ने कच्चे पाम तेल और कच्चे सूर्यमुखी तेल के आयात पर फिर से 30 फीसदी शुल्क लगाने की मांग की है। आरबीडी पामोलीन पर 37.5 फीसदी का शुल्क लगाने की मांग की है ताकि विदेशों से सस्ते खाद्य तेल की आपूर्ति से घरेलू उद्योग और किसानों के हितों का बचाव किया जा सके। (BS Hindi)
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