29 जनवरी 2009
रॉक फॉस्फेट के लिए इफ्को-कजाकिस्तानी कंपनी डील
नई दिल्ली : कीमतों में भारी उतार - चढ़ाव के चलते फर्टिलाइजर इंडस्ट्री को कच्चे माल के लिए लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट करने में दिक्कतें आ रही हैं। कजाकिस्तान की प्रमुख केमिकल और फर्टिलाइजर कंपनी काजफॉस्फेट आईआईसी के साथ रॉक फॉस्फेट के लिए इफ्को ने समझौता तो कर लिया है , लेकिन अभी तक कीमतों को लेकर बात नहीं बन पाई है। इफ्को के एक अधिकारी का कहना है कि अभी तक कीमत तय करने का कोई फॉर्मूला तय नहीं हो पाया है , लेकिन कंपनी 100-150 डॉलर प्रति टन के बीच समझौते की कोशिश कर रही है। एक टन डीएपी के लिए मोटे तौर पर 460 किलो फॉस्फोरिक एसिड और 220 किलो अमोनिया की जरूरत होती है। अधिकारी ने ईटी को बताया , ' अभी कच्चे माल की सप्लाई के लिए लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट 10 साल का होता है। कच्चे माल की ऊंची कीमतों को देखते हुए फिक्स्ड प्राइस कॉन्ट्रैक्ट सही नहीं लग रहा। सप्लाई करने वाली कंपनियां भी फिक्स्ड प्राइस फॉर्मूले से बच रही हैं। ' हालांकि कजाकिस्तान की कंपनी के पास रॉक फॉस्फेट का करीब चार अरब डॉलर का भंडार है। वहीं , भारत दुनिया भर में फॉस्फेट का सबसे बड़ा खरीदार है। 2007-08 में भारतीय फर्टिलाइजर फर्मों ने रॉक फॉस्फेट के लिए 60-70 डॉलर प्रति टन की कीमत अदा की थी। इफ्को और कजाकिस्तान की कंपनी की डील से रॉक फॉस्फेट की अंतरराष्ट्रीय गोलबंदी को तोड़ने में मदद मिलेगी। इससे जॉर्डन और मोरक्को की बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की गोलबंदी तोड़ने में मदद मिलेगी। 2008 में दुनिया भर के बाजारों में अनिश्चितता और कमोडिटी कीमतों के उच्चतम स्तर पर जाने के बाद भारत ने जॉर्डन को रॉक फॉस्फेट के आयात के लिए रिकॉर्ड कीमतें अदा की थीं। भारतीय कंपनियों ने रॉक फॉस्फेट के लिए 350 डॉलर प्रति टन की कीमत चुकाई थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अभी भी जॉर्डन और मोरक्को के रॉक फॉस्फेट की कीमत 250 डॉलर प्रति टन चल रही है। इफ्को के अधिकारी का कहना है , ' हमें यह कीमत मंजूर नहीं है। काजफॉस्फेट के साथ डील होने से गोलबंदी करने वाली परंपरागत कंपनियों के ऊपर कीमत को कम करने का दबाव बढ़ेगा। ' (ET Hindi)
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