29 जनवरी 2009
वैश्विक मंदी से बेहाल हुई रबर इंडस्ट्री
कोट्टयम : वैश्विक मंदी से भारतीय रबर उद्योग की हालत खराब हो सकती है। ऑटो सेक्टर मंदी की गिरफ्त में है। ऐसे में रबर की घरेलू मांग में काफी कमी आई है। इसका असर रबर की कीमतों पर भी पड़ा है। रबर बोर्ड का कहना है कि इस साल रबर उद्योग पर यह संकट बना रह सकता है। रबर बोर्ड के चेयरमैन साजन पीटर ने बताया, 'मौजूदा हालात में बोर्ड को प्राकृतिक रबर की कीमतों में किसी बढ़ोतरी के आसार नहीं दिख रहे हैं। हमारे अनुमान के मुताबिक, इस साल के आखिर तक हालात में सुधार आएगा।' उन्होंने कहा कि रबर की कीमतें पूरी तरह से मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती हैं। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों का भी इस पर असर पड़ता है। पीटर ने कहा कि आर्थिक संकट ने सभी सेक्टरों के कारोबार पर असर डाला है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी इससे अछूता नहीं है। इसी वजह से टायर और रबर के कारोबार में कमी आई है। सीआईआई के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय रबर उद्योग में छोटी, मझोली और बड़ी मिलाकर कुल 6,000 इकाइयां हैं। इस सेक्टर की भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका है। जहां एक ओर इस सेक्टर का कारोबार 200 अरब रुपए का है, वहीं टैक्स और अतिरिक्त करों के जरिए सरकारी खजाने को 40 अरब रुपए मिलते हैं। पीटर ने कहा है कि इंटरनेशनल रबर रिसर्च इंस्टिट्यूट का अनुमान है कि वर्ष 2009 में रबर की खपत में 0.83 फीसदी की कमी आएगी। वर्ष 2008 में रबर की खपत में 1.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, रबर मर्चेंट एसोसिएशन का कहना है कि वर्ष 2009 में वैश्विक स्तर पर रबर की खपत में करीब 15 फीसदी की कमी आएगी। (ET Hindi)
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