नई दिल्ली January 30, 2009
सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी के बावजूद सरसों तेल में मंदी का दौर जारी है।
अन्य वनस्पति तेलों में लगातार गिरावट एवं सरसों की बंपर फसल के अनुमान के तहत पिछले एक माह के मुकाबले सरसों तेल में प्रति किलोग्राम 12-13 रुपये की गिरावट हो चुकी है। जुलाई-अगस्त के मुकाबले सरसों तेल में 20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। शुक्रवार को सरसों तेल की कीमत थोक बाजार में 52 रुपये प्रति किलोग्रम के स्तर पर थी। कारोबारी अगले 10-15 दिनों में सरसों तेल में और 5 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट का अनुमान लगा रहे हैं। सरसों बाजार में भी नरमी के आसारसरकार ने सरसों के एमएसपी में 30 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है और अब यह 1800 रुपये प्रति क्विंटल की जगह 1830 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। जबकि पिछले साल तेजी के दौरान सरसों 3200 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर चला गया था। कारोबारी कहते हैं कि इस बार सरसों का उत्पादन 70 लाख टन के आसपास रहने का अनुमान है जो कि पिछले साल के मुकाबले लगभग 15-18 फीसदी अधिक है। दूसरी बात यह है कि तेज धूप एवं मौसम के साफ होने के कारण इस साल सरसों की आवक तय समय से 15-20 दिन पहले ही शुरू हो जाएगी।इसके अलावा पाम तेल व सोयाबीन तेल से समर्थन नहीं मिलने के कारण सरसों की कीमत अधिकतम 2000 रुपये प्रति क्विंटल तक जाने की उम्मीद की जा रही है। पाम तेल कांडला पोर्ट पर 270 रुपये प्रति 10 किलोग्राम तो सोयाबीन तेल इंदौर की मंडी में 465-480 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहे हैं। सरसों का उत्पादन मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात व उत्तर प्रदेश में होता है।वनस्पति घी से नहीं मिलेगा समर्थनतेल के थोक कारोबारी हेमंत गुप्ता कहते हैं, 'सरसों की आवक मंडी में 15 फरवरी तक शुरू हो जाएगी और 2000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिकने पर सरसों तेल की कीमत 45.75 रुपये प्रति किलोग्राम होगी। इस लिहाज से सरसों तेल में 7 रुपये प्रति किलोग्राम तक की गिरावट हो सकती है।'सरसों या सरसों तेल में तेजी की संभावना इसलिए भी नहीं बन रही है कि इस साल वनस्पति घी में इसका इस्तेमाल किसी भी कीमत पर नहीं हो पाएगा। पहले वनस्पति घी में 30 फीसदी तक सरसों तेल की मिलावट की जाती रही है। लेकिन इस बार 38-40 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाले वनस्पति घी में 50 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाले सरसों तेल को मिलाना किसी उत्पादक के लिए फायदेमंद नहीं होगा।एमएसपी से खुश नहींसरसों तेल उत्पादक कहते हैं कि सरसों का एमएसपी और बढ़ाया जाना चाहिए था। क्योंकि गेहूं के मुकाबले सरसों की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर मात्र 30 फीसदी है। यानी कि 1 हेक्टेयर जमीन पर खेती करने से अगर 10 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होता है तो सरसों का उत्पादन मात्र 3 क्विंटल होगा। ऐसे में सरसों के न्यूनतम मूल्य में प्रति क्विंटल मात्र 30 रुपये का इजाफा जायज नहीं है। गेहूं् के समर्थन मूल्य में 80 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गयी है। (BS Hindi)
31 जनवरी 2009
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