29 जनवरी 2009
बारिश से बढ़ेंगी फसलों की उपज
नई दिल्ली : देश के उत्तरी, उत्तर-पश्चिमी और गेहूं उपज वाले क्षेत्रों में अगले पांच दिनों में बारिश होने के अनुमान से रबी की प्रमुख फसलों, ऑयलसीड और दालों की उपज को बल मिलने की उम्मीद है। नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) का पूर्वानुमान है कि अगले 24 घंटे तक हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के ज्यादातर इलाकों में बर्फबारी और बारिश होगी। इसके अलावा देश के उत्तर पश्चिमी इलाकों में भी हल्की बारिश और फुहारों का अनुमान केंद्र ने जताया है। सेंटर के पूर्वानुमान में कहा गया है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा और उत्तर पूर्व के राज्यों में भी बारिश होने के आसार हैं। पिछले साल 1 अक्टूबर से लेकर 31 दिसंबर के बीच उत्तर पूर्वी मानसून के कारण होने वाली बारिश की कमी इस बारिश से पूरी हो सकती है। गौरतलब है कि इस दौरान होने वाली बारिश सामान्य से करीब 31 फीसदी कम रही है। 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर के बीच होने वाली बारिश की कमी कुल 36 सब डिवीजन में से 30 सब डिवीजन में रही है जबकि पिछले साल यह कमी 27 सब डिवीजन में रही थी। बारिश की कमी के चलते फसलों पर बुरा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही थी। खासतौर पर कम बारिश वाले इलाकों में इस वजह से फसलों पर ज्यादा नुकसान होता दिख रहा था। देश के ज्यादातर इलाकों में इस सीजन में हुई कम बारिश ने रबी फसल के उत्पादन पर असर की आशंका पैदा की है। सरकार ने इस साल गेहूं के 7.8 से 7.9 करोड़ टन के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद जताई है। लेकिन कम बारिश सरकार के अनुमान को कमजोर कर सकती है। इसके अलावा कम बारिश की वजह से कुल पानी के संचयन पर भी खराब असर दिखाई देगा। 15 जनवरी को यह फुल रिजर्वर लेवल (एफआरएल) का केवल 49 फीसदी है जबकि इससे पिछले साल यह 56 फीसदी पर था। कुल मिलाकर ताजा बारिश के पूर्वानुमान से बारिश की मौजूदा कमी की भरपाई होने की उम्मीद जगी है। हालांकि जनवरी के शुरुआती दिनों में तापमान पाला मुक्त रहा है। गौरतलब है कि पाले को फसलों के लिए नुकसानदायक माना जाता है। खासतौर पर गेहूं की फसल को इससे काफी नुकसान होता है। उत्तर भारत के ज्यादातर गेहूं उपजाऊ इलाकों में इन सर्दियों में पानी की कमी का इसकी वृद्धि पर नकारात्मक असर दिखाई दिया है। (ET Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें