30 जनवरी 2009
भारत का कॉटन निर्यात 41 फीसदी घटने की आशंका
विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के चलते चालू मार्केटिंग सीजन में कॉटन का निर्यात सरकार के पिछले अनुमान से काफी नीचे रहने की आशंका है। सराकार ने कॉटन के निर्यात में करीब 41 फीसदी की गिरावट आने की आशंका जताई है। मौजूदा समय में वैश्विक बाजारों में भारतीय कॉटन की मांग बेहद कम है। वहीं घरेलू भाव ज्यादा रहने से इसका होड़ लेने की क्षमता भी कम है। इस साल कपास के उत्पादन में भी गिरावट आई है। कॉटन कारपोरशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक सुभाष ग्रोवर के मुताबिक साल 2008-09 के दौरान 50 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) कॉटन का निर्यात होने का अनुमान है, जो कॉटन एडवायजरी बोर्ड के अनुमान से काफी कम है। बोर्ड ने इस दौरान करीब 75 लाख गांठ कॉटन का निर्यात होने की संभावना जताई था।साल 2007-08 के दौरान भारत से करीब 85 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हुआ था। ग्रोवर ने बताया कि इस साल कॉटन का उत्पादन 3.22 करोड़ गांठ तक रहने का अनुमान था। अब उत्पादन करीब तीन करोड़ गांठ ही रहने की संभावना है। इससे भी निर्यात में कमी देखी जा सकती है। भारतीय कॉटन का भाव 60,670 रुपये प्रति टन है। जबकि अमेरिकी कॅाटन वैश्विक बाजारों में 50,350 रुपये प्रति टन पर उपलब्ध है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष धीरन सेठ ने बताया कि उत्पादक इलाकों में खराब मौसम से कॉटन के उत्पादन में पिछले अनुमान के मुकाबले गिरावट देखी जा सकती है। ऐसे में उत्पादन तीन करोड़ से भी नीचे यानी करीब 2.85 करोड़ गांठ रह सकता है। जबकि निर्यात करीब 50-55 लाख गांठ तक रहने का अनुमान है। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया ने इस साल देश भर में करीब 62 लाख गांठ कॉटन की खरीद की है। इस दौरान कॉटन के वैश्विक उत्पादन में भी करीब नौ फीसदी की गिरावट आने से 2.38 करोड़ टन रह सकता है जो साल 2003-04 के स्तर से भी नीचे है। (Business Bhaskar)
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