23 जनवरी 2009
सबसे बड़ी डीएपी डील की तैयारी
केंद्र सरकार देश के इतिहास की सबसे बड़ी डाय-अमोनियम फास्फेट (डीएपी) आयात डील करने की तैयारी में है। इसके तहत कंेद्र सरकार इन दिनों 10 लाख टन डीएपी आयात के सौदे पर काम कर रही है। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक यह डीएपी चीन और रूस से आयात किया जाएगा। इसके आयात का कांट्रेक्ट 330-350 डॉलर प्रति टन की सीआईएफ (कॉस्ट, इंश्योरेंस एंड फ्रेट) की कीमत पर होने की संभावना है। देश में कच्चे माल के आयात पर डीएपी की उत्पादन लागत करीब 650 डॉलर प्रति टन बैठ रही है। यह कांट्रेक्ट मार्च से जुलाई के दौरान आयात के लिए किया जाएगा।उक्त सूत्र के मुताबिक यह आयात सरकारी अकाउंट पर इफको और इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) के जरिए किया जाएगा। यह आयात काफी सस्ते में हो रहा है। लिहाजा, सरकार इस मौके को गंवाना नहीं चाहती है। 330-350 डॉलर प्रति टन की कीमत पर यह काफी फायदे का सौदा है क्योंकि अमेरिका और खाड़ी से डीएपी 375 डॉलर प्रति टन के आस-पास पड़ता है।भारतीय उर्वरक कंपनियां फॉस्फोरिक एसिड के दामों को लेकर विदेशी सप्लायरों से जंग के माहौल में हैं। फॉस्फोरिक एसिड डीएपी बनाने के लिए महत्वपूर्ण घटक है। उर्वरक मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक कई देशों में भारतीय कंपनियों के संयुक्त उद्यम होने के बावजूद उनको रॉक फास्फेट मिलने में दिक्कत हो रही है। विदेशी सप्लायरों में ओसीपी ग्रुप, जीसीटी, फॉस्कॉर और आईसीडीएस का नाम मुख्य तौर पर शामिल है। यह सभी इसके लिए 1,200 डॉलर प्रति टन सीएंडएफ की मांग कर रहे हैं। भारतीय आयातकों का कहना है कि यह भाव बहुत ज्यादा है।एक टन डीएपी बनाने में उर्वरक कंपनियों को 460 किलोग्राम फॉस्फोरिक एसिड और 220 किलोग्राम अमोनिया की जरूरत होती है। फॉस्फोरिक एसिड की कीमत 1,200 डॉलर प्रति टन पड़ती है जबकि एक टन अमोनिया की कीमत 150 डॉलर बैठती है। इसके बाद दोनों के घटकों पर पांच फीसदी की कस्टम ड्यूटी लगती है। इस हिसाब से आयात होने वाले इन घटकों की कीमत प्रति टन डीएपी के लिए लगभग 615 डॉलर प्रति टन के आस-पास बैठती है। इसके अलावा अगर एक टन डीएपी बनाने की बाकी लागतों को जोड़ दें तो यह 650 डॉलर प्रति टन को पार कर जाती है। इस हिसाब से देश में डीएपी बनाना घाटे का सौदा है। (Business Bhaskar)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें