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21 जनवरी 2009

आभूषण उद्योग को जल्द मिलेगी सरकारी राहत

भारत के 3,000 करोड़ रुपये के रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को सरकार की ओर से दो सप्ताह के भीतर अलग से बेलआउट पैकेज मिलने के आसार हैं।
मंगलवार को इंटरनेशनल ब्रांड कॉन्क्लेव के दौरान बिजनेस स्टैंडर्ड से अलग से बातचीत करते हुए वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा, 'हम यह देख रहे हैं कि रत्न एवं आभूषण के कारोबार को किस तरह से मदद दी जा सकती है। यह कारोबार विदेशी मुद्रा की कमाई का बहुत बड़ा जरिया है और इसमें भारी पैमाने पर गिरावट महसूस की जा रही है। इस उद्योग को सरकार के समर्थन की जरूरत है और बहुत ही जल्द इसके लिए कुछ किया जाएगा।'इस मदद के बारे में कुरेदे जाने पर उन्होंने बहुत ज्यादा कुछ कहने से की बजाय इस क्षेत्र की कठिनाइयों के बारे में ही बताया और कहा यह उद्योग कुछ समस्याओं का सामना कर रहा है और सरकार इसे महसूस कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जल्द ही कुछ न कुछ किया जाएगा।बहरहाल जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के पूर्व चेयरमैन संजय कोठारी ने विश्वास व्यक्त किया कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री कमलनाथ उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ बुधवार को प्रस्तावित बैठक के दौरान पैकेज की घोषणा कर सकते हैं।जीजेईपीसी के चेयरमैन वसंत मेहता, जो जेम्स ऐंड ज्वैलरी निर्यातकों के प्रतिनिधि के तौर पर बुधवार को मिलने वाले हैं, ने भी माना है कि समिति की सलाह पर मंत्रालय की सोच सकारात्मक है।भारत के रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में करीब 1,00,000 प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित कामगार बेकार पड़ गए हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है कि अमेरिका प्रमुख आयातक देश है, जहां से मांग बहुत ही कम हो गई है। अमेरिका वर्तमान में आर्थिक मंदी से जूझ रहा है, जिससे भारत का हीरे के आभूषणों का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। भारत के आभूषणों की बिक्री की राजस्व में हिस्सेदारी 35 प्रतिशत होती है, जिसमें क्रिसमस और नए वर्ष में मांग कम होने की वजह से कमी आई है और इसमें 20 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है।पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 2100 करोड़ रुपये निर्यात से कमाए थे। इसके साथ ही आभूषणों की घरेलू मांग में भी 20 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है। सामान्य दिनों में जितना कारोबार 4-5 महीने में होता है, इस समय कारोबार की जो गति है, उससे कारोबार 12 महीने तक कारोबार होता रहेगा। इसका मतलब यह हुआ कि अगर अगले 12 महीने तक कोई उत्पादन नहीं होता है, तब भी यह उद्योग कारोबार करता रहेगा। जेम्स ऐंड ज्वैलरी तैयार करने वालों की मांग है कि स्टैटस होल्डर्स को सोने के सीधे आयात और निर्यातकों को बेचने की अनुमति मिलनी चाहिए। (BS Hindi)

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