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17 जनवरी 2009

जूट बोरियों का ब्यौरा न देने पर मिलों को नोटिस

जूट पैकेजिंग मैटीरियल (जेपीएम) एक्ट के अंतर्गत रिटर्न न देने के कारण 300 कंपनियों को नोटिस जारी किया है। चीनी मिलों को हर महीने अपने उत्पादन और उसकी जूट की बोरियों में पैकिंग के बारे में जूट कमिश्नर के पास विवरण देना होता है। टैक्सटाइल मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि जूट कमिश्नर ने दिसंबर महीने में इन कंपनियों को नोटिस जारी करके विवरण न देने के बारे में जवाब मांगा है। यदि उन्होंने 15 फरवरी 2009 तक जवाब नहीं दिया तो उन्हें जेपीएम एक्ट के उल्लंघन का दोषी माना जाएगा। चीनी मिलों को दिसंबर माह के लिए जेपीएम एक्ट के अनुसार 650 मिलों को जूट बोरियों के उपयोग के संबंध में रिटर्न भरने के लिए कहा गया था। उसमें से केवल 200 मिलों ने ही तय सीमा के अंदर रिटर्न भरे है। उसमें से 150 मिलों ने अपने यहां उत्पादन न होने के सूचना दी है। शेष 300 मिलों द्वारा रिटर्न न भरने के कारण जूट कमिश्नर ने नोटिस जारी किया है। जेपीएम एक्ट के अंतर्गत सभी चीनी मिलों के लिए चीनी की पैकिंग के लिए जूट की बोरियों का उपयोग अनिवार्य है। जिसके लिए उन्हें हर माह उपयोग की गई जूट की बोरियों के बारे में रिटर्न भरना होता है। रिफाइंड और निर्यात के लिए तैयार चीनी तथा 25 किलो की बोरियों में पैक होने वाली चीनी पर यह नियम लागू नहीं होता है।माना जा रहा है कि दिसंबर महीने में जूट की उपलब्धता घटने के कारण चीनी मिलें संभवत: इस नियम का पूरी तरह पालन नहीं कर पाई हैं। दिसंबर में कोलकाता में जूट मिलों के मजदूरों द्वारा दो हफ्ते तक हड़ताल के कारण उत्पादन बंद हो गया था। जिसके चलते बाजार में जूट बोरियों की उपलब्धता में कमी हो गई थी। इस साल चीनी उत्पादन में कमी की संभावना को देखते हुए चीनी मिलों को साल भर के लिए 2.88 लाख टन जूट बोरियों की आवश्यकता का अनुमान है। जूट बोरियों की समय पर उपलब्धता में कमी को देखते हुए टेक्सटाइल मंत्रालय जेपीएम एक्ट के अंतर्गत चीनी मिलों और खाद्य मंत्रालय को छूट देने पर विचार कर रहा है। जेपीएम एक्ट के अंतर्गत टेक्सटाइल मंत्रालय को यह अधिकार है कि चीनी मिलों और खाद्य मंत्रालय को पैकिंग के लिए 20 फीसदी दूसरी बोरियों के इस्तेमाल की छूट दे सकता है। उल्लेखनीय है कि जूट की बोरियों की किल्लत की वजह से चीनी मिलों को पैकेजिंग में दिक्कतें आ रही हैं। जिससे उपलब्धता कम होने से पिछले कुछ दिनों में जूट की कीमतों में इजाफा भी हुआ है। ऐसे में सरकारी मिलों पर दोहरी मार पड़ रही है। (Business Bhaskar)

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