मुंबई January 16, 2009
ग्वारसीड का बाजार अचानक एक बार फिर गरम हो गया है। इसके पीछे प्रमुख वजह यह है कि बाजार में जोरदार खरीदारी हो रही है और स्टॉकिस्ट माल जमा कर रहे हैं। इसके अलावा विदेशों से भी इसकी मांग बढ़ रही है।
बहरहाल जिंस विश्लेषकों का कहना है कि बाजार में यह बढ़त कम अवधि के लिए ही है। राजस्थान के दो प्रमुख कारोबार स्थलों, बीकानेर और जोधपुर में हाजिर भाव क्रमश: 1550 और 1570 रुपये प्रति क्विंटल रहा। यह पिछले सप्ताह की तुलना में करीब 50 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा है। बीकानेर के ग्वारसीड के कारोबारी नवरतन दागा ने कहा, 'ग्वारसीड की मांग इस समय बढ़ गई है। विदेशों से मांग इस समय अच्छी है और हमें अनुमान है कि अगले सप्ताह तक इसका भाव 100 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ जाएगा।'हालांकि ग्वारसीड का उत्पादन पिछले साल के बराबर ही करीब 70 लाख बोरी (एक बोरी में एक क्विंटल होता है) हुआ, इसके बावजूद इस खाद्यान्न जिंस की कीमत कम हो गई और नवंबर-दिसंबर में इसका हाजिर भाव घटकर दिसंबर के अंत तक 1350 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। सूत्रों का कहना है कि कीमतें कम होने की प्रमुख वजह घरेलू और विदेशी बाजार में ग्वारसीड की मांग में कमी रही। बहरहाल, इस साल की शुरुआत से ही चीन और यूरोप के कारोबारियों द्वारा माल के आयात के बारे में जानकारियां मांगे जाने से बाजार में उत्साह बढ़ा है। कारोबारियों का अनुमान है कि विदेशी खरीदार मेहरबान होंगे, जिसकी वजह से ग्वारसीड की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। सामान्यतया कुल कारोबार में 75-80 प्रतिशत हिस्सा हर साल निर्यात का होता है। हालांकि जिंस के विश्लेषकों का कहना है कि हो सकता है कि इस साल निर्यात में कमी आए और अचानक बढ़ी मांग कम अवधि के लिए साबित हो।एग्रीवाच कमोडिटीज के जिंस विश्लेषक श्रीराम अय्यर ने कहा, 'मिल मालिकों और क्रशर्स की ओर से मांग कम आ रही है। वे वर्तमान बढ़ी हुई दरों पर ग्वारसीड का उत्पादन नहीं करना चाहते। उन्हें तभी मुनाफा होता है और काम करने में सहूलियत होती है, जब ग्वारसीड की कीमतें 1500 रुपये प्रति क्विंटल होती हैं, अन्यथा उनके मुनाफे में कमी आ जाती है।' अभी कीमतों में 50-60 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो सकती है। (BS Hindi)
17 जनवरी 2009
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