17 जनवरी 2009
कच्चे तेल में गिरावट, लेकिन सोने की चमक बरकरार
मुंबई: आर्थिक चिंताओं और बढ़ते स्टॉक के कारण जहां एक तरफ कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है, वहीं दूसरी तरफ सोने की चमक बरकरार है। आमतौर पर कच्चे तेल में गिरावट के मुताबिक ही सोने की कीमतें भी कम होती हैं। फिलहाल सोने ने कच्चे तेल की चाल से अलग राह पकड़ी है। एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और एशियाई देशों से ज्वैलरी की मांग के कारण सोने की कीमत में स्थिरता बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले सप्ताह जिस तरह कच्चे तेल में गिरावट आई, सोने का वह हाल देखने को नहीं मिला। फंडामेंटल कमजोर होने के कारण कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही हैं, लेकिन सोने की मांग में तेजी बनी हुई है। एमएपीई एडमिसी कमोडिटी रिसर्च के देवज्योति चटर्जी का कहना है, 'सट्टेबाजी और फंड खरीदारी के कारण 2009 की पहली और दूसरी तिमाही में सोने की कीमतें ऊपरी स्तर पर बनी रहेंगी।' फिलहाल, सोने को महंगाई के खिलाफ सबसे अच्छा हेज माना जा रहा है। आनंद राठी कमोडिटीज के सुबोध गुप्ता का कहना है, 'बाजार के अभी के वातावरण को देखते हुए सोने को सबसे सुरक्षित संपत्ति माना जा सकता है। एक तरफ इक्विटी और कमोडिटी की कीमतों में नाटकीय ढंग से गिरावट आई है तो दूसरी तरफ अच्छी मांग के कारण सोना अभी भी ऊपर बना हुआ है।' उनका अनुमान है कि अगर निकट भविष्य में सोने की कीमत गिरती भी है तो मार्च तिमाही में वह फिर से 1,080 डॉलर पर पहुंच सकती है। अभी सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में 810 डॉलर प्रति टन पर कारोबार कर रहा है। निकट भविष्य में इसके 12,500 से 12,800 रुपए तक जाने का अनुमान है। दूरी तरफ कच्चे तेल को 32 डॉलर प्रति बैरल पर समर्थन मिलने का अनुमान है जबकि इस समय क्रूड की कीमत 36 डॉलर पर चल रही है। गुप्ता का कहना है कि मध्य पूर्व में जारी संकट से भी कच्चे तेल को फायदा नहीं मिला जबकि आदर्श तौर पर उसकी कीमतों में बढ़ोतरी होनी चाहिए थी। अमेरिका में पिछले सप्ताह कच्चे तेल का स्टॉक 12 लाख बैरल बढ़कर 32.66 करोड़ बैरल हो गया। रिपोर्टों के मुताबिक, आर्थिक मंदी के और गहराने और औद्योगिक खपत के पिछले पांच साल के न्यूनतम स्तर तक पहुंचने से मांग में गिरावट आई है। डॉलर के मजबूत होने से भी कच्चे तेल में गिरावट आई है और सोना भी इससे कुछ हद तक प्रभावित हुआ है। हालांकि डीलरों का कहना है कि यूरोपियन सेंट्रल बैंक की ब्याज दरों की घोषणा के बाद ट्रेड की दिशा तय होगी। (ET Hindi)
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