16 जनवरी 2009
गेहूं निर्यात पर विचार मार्च में
पिछले साल गेहूं के बंपर उत्पादन के बाद रिकार्ड खरीद होने और इस साल उत्पादन और ज्यादा बढ़ने की संभावना को देखते हुए सरकार गेहूं निर्यात पर लगी रोक हटा सकती है। इस बात की जानकारी कृषि मंत्री शरद पवार ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) द्वारा आयोजित एक समारोह में संवाददाताओं से बातचीत में दी। घरेलू बाजार में गेहूं की उपलब्धता को बनाए रखने के लिए सरकार ने फरवरी 2007 से इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी। उधर कृषि सचिव टी नंद कुमार ने इस साल रिकार्ड गेहूं उत्पादन की फिर संभावना जताई है। कृषि मंत्री ने कहा कि इस साल गेहूं की बुवाई पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है। ऐसे में बेहतर मौसम को देखते हुए फसल की स्थिति काफी अच्छी है। लिहाजा इस साल गेहूं का उत्पादन पिछले साल से भी अधिक हो सकता है। इसे देखते हुए मार्च के पहले हफ्ते में गेहूं के निर्यात पर विचार किया जाएगा। मार्च तक गेहूं की नई आवक मंडियों में शुरू हो जाएगी। उस समय उत्पादन का सटीक अनुमान भी लगाया जा सकेगा। पवार के अनुसार अभी 270 लाख हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी है जो पिछले की इसी अवधि तक 267 लाख हैक्टेयर में हुई थी। इसके अलावा गेहूं विपणन वर्ष (2008-09) में केंद्र सरकार ने रिकार्ड 226 लाख टन गेहूं की खरीद की। जिसे देखते हुए सरकार इसके निर्यात पर लगी रोक हटा पर विचार कर रही है। हाल में सरकार ने राजनयिक रिश्तों के आधार पर पड़ोसी देशों के लिए 20 लाख टन गेहूं निर्यात का फैसला लिया है। रबी सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बारे में उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला ले लिया जाएगा। अभी तक केंद्र सरकार ने रबी सीजन के लिए एमएसपी की घोषणा नहीं की है। जबकि पिछले साल अक्टूबर में ही इसकी घोषणा हो गई थी। रॉ शुगर के आयात नियमों में ढील देने के संबंध में पवार ने कहा कि घरेलू चीनी उत्पादन में गिरावट को देखते हुए मिलों को रॉ शुगर आयात नियमों में ढील देने पर विचार हो रहा है। जिससे मिलें रिफाइनिंग की अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकें। चालू पिराई सीजन में चीनी का उत्पादन 190 लाख टन से कम होने का अनुमान है। जबकि पिछले साल देश में चीनी का उत्पादन 265 लाख टन हुआ था। उधर कृषि सचिव के अनुसार रकबा में करीब दस लाख हैक्टेयर का इजाफा होने की वजह से पिछले साल के 784 लाख टन से ज्यादा गेहूं उत्पादन की संभावना है। उन्होंने बताया कि पिछले साल के मुकाबले गेहूं का रकबा बढ़ने की वजह से उत्पादन पिछले साल भी ज्यादा रह सकता है।गौरतलब है कि साल 2006-07 के दौरान देश में गेहूं का कम उत्पादन और मांग बढ़ने की वजह से घरलू बाजारों में कीमतों में तगड़ी बढ़त देखी गई थी। कीमतों पर नकेल के लिए सरकार को जहां भारी मात्रा में विदेशों से महंगे भावों पर गेहूं का आयात करना पड़ा था। वहीं घरलू बाजारों में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए फरवरी 2007 में गेहूं के निर्यात परन प्रतिबंध भी लगाना पड़ा था। तब से अब तक गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी है। हालांकि इस दौरान उत्पादन में तगड़ा इजाफा हुआ है। लेकिन बढ़ी महंगाई की वजह से निर्यात शुरू नहीं कर सकी। (Business Bhaskar)
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