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05 अक्तूबर 2008

घरेलू बाजार में कपास की कीमतें हुईं कम

अहमदाबाद / चंडीगढ़ : साल भर से कपास की कीमतों की वजह से घरेलू टेक्सटाइल सेक्टर में खलबली मची है। अब इसके थमने के आसार हैं। वैश्विक और घरेलू बाजार में इस कमोडिटी की मांग में आई कमी और नए स्टॉक के बाजार में आने से इसके दाम गिरने की संभावना है। जानकारों का कहना है कि जहां जुलाई में एक कैंडी की कीमत 28,500 रुपए थी, अब वह घटकर 26,200 रुपए हो गई है। नवंबर तक कपास की कीमत 25,000 रुपए हो सकती है। कंफेडेरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री के सेक्रेटरी जनरल डी के नायर ने ईटी को बताया, 'कीमतों में जारी गिरावट इस बात की ओर संकेत करती है, वर्ष 2008-09 में इसकी खपत कम होगी।' कोयंबटूर स्थित साउथ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के के एन विश्वनाथन ने बताया, 'इस सीजन में कॉटन का बंपर उत्पादन ( 315 लाख गांठ) होने की उम्मीद है। जहां इस समय रोजाना 50,000 कॉटन की गांठों की आपूर्ति हो रही है। एक हफ्ते के भीतर यह बढ़कर 80,000 से एक लाख के बीच पहुंच जाएगी। इससे कॉटन के दाम में जल्द गिरावट आएगी।' एक गांठ में 170 किलो कपास होता है। वहीं एक कैंडी में 356 किलो। उन्होंने बताया, 'गुजरात से रोजाना जहां शंकर 6 वैरायटी वाली 12,000 गांठों की आपूर्ति बाजार में हो रही है। वहीं पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से जे-34 वैरायटी वाली 17,000 गांठ आ रही हैं। मध्य प्रदेश से मेक-1 वैरायटी वाली 4000 गांठे बाजार में आ रही हैं, जबकि बनी वैरायटी वाली 4000 गांठों की आपूर्ति देश के दूसरे हिस्सों से हो रही है।' विश्वनाथन ने बताया कि इस समय शंकर-6 वैरायटी कॉटन के दाम 26,000-26,500 रुपए प्रति कैंडी है। हालांकि, अभी हाल में खरीदार ने मोलभाव करके इसे 23,000 रुपए प्रति कैंडी के भाव पर खरीदा। एसआईसीए से चीफ एग्जिक्यूटिव पी वी रामास्वामी ने बताया, 'इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की मांग काफी गिरी है, इससे घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव और बढ़ेगा। इस समय कोई भी खरीदार निर्यात से जुड़ी जानकारी लेने के लिए हमारे पास नहीं आ रहा है। इसके अलावा हमारा प्रमुख ग्राहक चीन भी कॉटन आयात करने में दिलचस्पी नहीं ले (ET Hindi)

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