October 29, 2008
अमेरिकी और एशियाई शेयर बाजारों में आई तेजी और ओपेक द्वारा दिसंबर से पहले की बैठक में उत्पादन में दोबारा कटौती करने पर विचार करने की घोषणा के बाद चार दिनों में पहली बार कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त देखने को मिली।
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान द्वारा ब्याज दरों में कटौती किए जाने की आशाओं के कारण एशियाई बाजार में तेजी दिखी। वेनेजुएला के तेल मंत्री रफैल रमिरेज ने कहा कि भंडार में बढोतरी को देखते हुए ओपेक 'संभवत:' कोटा में कटौती करेगा।इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट के हवाले से फाइनैंशियल टाइम्स में छपी खबर कि कच्चे तेल के वैश्विक उत्पदन में अनुमान से अधिक तेजी से कमी आ रही है, के कारण भी तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई।सिडनी स्थित कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया लिमिटेड के कमोडिटी स्ट्रेटजिस्ट डेविड मूर ने कहा, 'इक्विटी बाजारों में आने वाली तेजी आर्थिक समस्याओं के आसान होने की तरफ इशारा करता है और यह तेल की कीमतों के लिए समर्थनकारी है। अगर ओपेक उत्पादन में कटौती करने की बात पर कायम रहता है तो बाजार में थोड़ी मजबूती दिखनी चाहिए।'दिसंबर डिलिवरी वाले कच्चे तेल में 3.98 डॉलर या 6.3 प्रतिशत की बढ़त हुई और इसकी कीमत न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज पर 66.71 डॉलर प्रति बैरल हो गई। सिंगापुर समयानुसार दोपहर के 3.45 बजे इसकी कीमत 64.84 डॉलर प्रति बैरल थी। उल्लेखनीय है कि 11 जुलाई को तेल की कीमतें 147.27 डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं। कल कच्चे तेल के वायदा मूल्यों में 49 सेंट या 0.8 प्रतिशत की कमी देखी गई और इसकी कीमत 62.73 डॉलर प्रति बैरल थी जो 16 मई 2007 के बाद की सबसे कम कीमत थी। 23 सालों के न्यूनतम मूल्यांकनों को देखकर आकर्षित हुए निवेशकों के कारण अमेरिकी शेयरों में तेजी आई और कमर्शियल पेपरों की बिक्री से संकेत मिले कि ऋण बाजार में नरमी आ रही है। डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज ने 23 सालों में दूसरी सबसे अच्छी बढ़त दर्ज की, यह 889.35 अंक या 11 प्रतिशत चढ़ कर 9,065.12 के स्तर पर पहुंच गया। आपूर्ति में कमीजापान के सबसे बडे ज़िंस परिसंपत्ति प्रबंधक एस्टमैक्स लिमिटेड के फंड प्रबंधक तेत्सु इमोरि ने कहा, 'लोग मांग के मजबूत होने की आशा कर रहे हैं। पिछली रात एस ऐंड पी की बढ़त सकारात्मक थी, इसलिए लोगों के लिए इस कहानी पर भरोसा करना आसान था और फलस्वरूप कीमतों में तेजी आई।' फाइनैंशियल टाइम्स के अनुसार इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य की रिपोर्ट में कहा गया है कि अतिरिक्त निवेश के अभाव में वार्षिक उत्पादन में 9.1 प्रतिशत की कमी आने के आसार हैं। इसमें कहा गया है कि निवेश के बावजूद उत्पादन में सालाना 6.4 प्रतिशत की कमी आएगी। अखबार में कहा गया है कि कीमतों में गिरावट और निवेश संबंधी निर्णय लेने में होते विलंब को देखते हुए उत्पादन में यह कमी और अधिक हो सकती है। आईए की भविष्यवाणी है कि चीन, भारत और अन्य विकासशील देशों की बढ़ती खपत को देखते हुए साल 2030 तक सालाना 360 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है। (BS Hindi)
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