21 अक्तूबर 2008
पूंजी की कमी से जूझ रही है चीनी इंडस्ट्री
नई दिल्ली : सोमवार को रेपो रेट में की गई कटौती और सीआरआर में की गई हालिया कटौती बैंकों के लिए राहत तो हो सकती है, लेकिन देश की चीनी इंडस्ट्री नकदी की भारी कमी से जूझ रही है। नए चीनी सीजन (अक्टूबर 2008-सितंबर 2009) में इंडस्ट्री को भारी तरलता संकट से सामना करना पड़ सकता है। जानकारों का कहना है कि पूंजी अभाव के कारण चीनी कंपनियों को गन्ने की पेराई में काफी देरी हो सकती है। इस संकट से निपटने के लिए शुगर इंडस्ट्री गंभीरता से विचार कर रही है। इंडियन शुगर मिल्स असोसिएशन (आईएसएमए) ने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए मंगलवार को एक बैठक बुलाई है। आईएसएमए के डीजी एस. एल. जैन ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'बैंकों ने साफ तौर पर कार्यशील पूंजी के लिए कर्ज देने की गारंटी से इनकार किया है। ऐसे हालात में बैंक हमें कर्ज दे भी सकते हैं और नहीं भी। उनकी तरफ से हमें किसी तरह का भरोसा नहीं मिल रहा है।' साल 2009 में चीनी की कीमतों में तेजी आने की आशंका जताई जा रही है। चालू सीजन के लिए जरूरी गन्ने की उपज नहीं हुई है। ऐसे में इंडस्ट्री ज्यादा दरों पर कार्यशील पूंजी जुटाती हैं, तब पहले से दूसरी मुश्किलों से जूझ रही इंडस्ट्री से चीनी की सप्लाई पर असर पड़ेगा। कई चीनी मिल पहले ही अवैध तरीके से चीनी निर्यात करने के मामले में जांच के दायरे में हैं। चीनी मिलों ने सरकारी आदेश के बावजूद चीनी का निर्यात किया था, वहीं सरकार त्योहारों के मौसम को देखते हुए घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता बढ़ाना चाहती थीं। (ET Hindi)
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