बेरहामपुर October 27, 2008
बाढ़ की विभीषिका से राज्य के 30 जिलों में से अधिकतर के प्रभावित होने के बावजूद उड़ीसा सरकार को उम्मीद है कि इस साल चावल का रेकॉर्ड उत्पादन होगा।
एक अधिकारी के मुताबिक, उड़ीसा के 30 में से 17 जिलों में लगभग तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी फसल बाढ़ से जहां थोड़ी प्रभावित हुई है वहीं चार लाख हेक्टेयर में खड़ी फसल पानी में डूब गई। राज्य के कृषि और खाद्य उत्पादन निदेशक अरविंद कुमार पाधी ने कहा कि इस नुकसान के बावजूद उन्हें आशा है कि चावल का रिकॉर्ड उत्पादन होगा। पाधी ने कहा कि राज्य के अन्य हिस्सों में फसल की स्थिति अच्छी होने से धान की बंपर पैदावार होगी और इससे लक्ष्य प्राप्ति में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस खरीफ सीजन में सरकार ने लगभग 72 लाख टन का लक्ष्य निर्धारित किया था जो बाढ़ के चलते घटकर 70 लाख टन तक जा सकता है।गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष में राज्य में 76.14 लाख टन चावल का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था जिसमें 68.26 लाख टन खरीफ सीजन में तथा 7.88 लाख टन रबी सीजन में पैदा किया गया। हालांकि, रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद उड़ीसा पैदावार के मामले में राष्ट्रीय औसत से पिछड़ा हुआ है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पैदावार का राष्ट्रीय औसत 2.1 टन प्रति हेक्टेयर है जबकि उड़ीसा में यह महज 1.70 टन प्रति हेक्टेयर है। उड़ीसा की 4.09 करोड़ जनता के लिए 85.67 लाख टन खाद्यान्न की जरूरत होती है। पिछले साल यहां 92.13 लाख टन खाद्यान्न पैदा हुआ था। पाधी ने बताया कि इस तरह यहां जरूरत से 6.46 लाख टन ज्यादा अनाज का उत्पादन हुआ।पाधी के मुताबिक, पिछले साल राज्य में पहली बार जरूरत से अधिक खाद्यान्न का उत्पादन हुआ। खाद्यान्नों में चावल, मक्का, गेहूं, ज्वार और छोटा बाजरा तथा दालों जैसे मूंग, कुल्थी आदि शामिल हैं। पाधी ने कहा कि कृषि और खाद्यान्नों के उत्पादन के मामले में उड़ीसा आने वाले दिनों में आत्मनिर्भर हो जाएगा। राज्य ने पहले ही प्रगतिशील कृषि नीति-2008 अपना लिया है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल किसानों को फायदा होगा बल्कि विभिन्न फसलों के पैदावार में भी इजाफा होगा।इसके अलावा, कृषि विभाग ने राज्य में चावल का उत्पादन बढ़ाने के लिए 'सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसीफिकेशन' के अपनाए जाने पर जोर दिया है। उल्लेखनीय है कि कई राष्ट्रीय प्रायोजित योजनाएं जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना को विभिन्न फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए पहले ही लागू किया जा चुका है। (BS Hindi)
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