मुंबई October 29, 2008
मंदी का असर सोने की कीमतों पर अब भी दिख रहा है। इसकी कीमतों में उठापटक होना अब भी जारी है। ऐसे में सोना निवेश का सुरक्षित विकल्प नहीं रह गया है।
जानकारों के मुताबिक, साल भर में पैदा हुए मुश्किल आर्थिक हालात की वजह से सोना अब सुरक्षित निवेश की कसौटियों पर खरा नहीं उतर रहा। अभी-अभी खत्म हुए संवत 2064 में आर्थिक अस्थिरता और तरलता संकट के चलते पूरी दुनिया के शेयर बाजार और वित्तीय बाजार लुढ़के हैं। ऐसे में सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमत 14 फीसदी से ज्यादा घटी है। गौरतलब है कि संवत 2063 के दौरान सोना 42 फीसदी चढ़ा था। बीते संवत में हालात कितने मुश्किल हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2001 में जब अमेरिका पर आतंकवादी हमले हुए थे तब भी सोने में महज 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।1997 में जब दक्षिण एशिया की कई मुद्राओं में खासी गिरावट हुई थी तब सोना केवल 19.22 फीसदी ही गिरा था। समझा जा सकता है कि हालात तब की तुलना में कितने गंभीर हैं। वैसे डॉलर की तुलना में रुपये की कमजोरी ने हालात को थोड़ा संभाला है। गौरतलब है कि संवत 2064 में भारतीय रुपये अमेरिकी डॉलर की तुलना में करीब 27 फीसदी लुढ़का है। बीते संवत में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई गिरावट के बावजूद देश में सोने की कीमत में करीब 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मौजूदा परिस्थिति में एक चीज जो साफ हुई वह यह कि कठिन आर्थिक हालात में पूंजी का प्रवाह अमेरिकी डॉलर की ओर बढ़ जाता है। कोटक महिन्द्रा कैपिटल के मुख्य परिचालन अधिकारी एस. रमेश के मुताबिक, मौजूदा मुश्किल हालात को ऐतिहासिक नजरिए से देखें तो पूंजी सुरक्षित करने की भागदौड़ से डॉलर मजबूत होता है।वैसे डॉलर मजबूत होने से देश में सोने का आयात खर्च काफी बढ़ गया है। मालूम हो कि भारत पूरी दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। देश इसकी पूर्ति के लिए पूरी तरह से आयात पर ही निर्भर है। वैसे 1997 के दक्षिण एशियाई मुद्रा संकट के समय सेंसेक्स 27.73 फीसदी चढ़ा था जबकि रुपये में केवल 1.12 फीसदी की कमी हुई। (BS Hindi)
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