26 अक्तूबर 2008
गेहूं-चावल का आयात किए बगैर खाद्य सुरक्षा रहेगी बरकरार
नई दिल्ली : सरकार ने साल 2008-09 में गेहूं और चावल के आयात की किसी संभावना से इनकार किया है। सरकार ने कहा कि उसने किसानों से बड़े पैम पर अनाजों की खरीदारी की है, ताकि साल भर घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। राज्यसभा में लिखित जवाब में केंद्रीय खाद्य और कृषि राज्य मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, 'इस साल गेहूं और चावल के आयात का प्रस्ताव नहीं है।' सिंह ने कहा कि अगर साल भर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अनाज की खरीदारी की जाए तो मांग को आसानी से पूरा किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि सरकारी एजेंसियों (भारतीय खाद्य निगम और दूसरी राज्य एजेंसियों) ने केंद्रीय पूल में 2007-08 के खरीफ सीजन में 284.29 लाख टन चावल और 2008-09 की रबी सीजन में 226.82 लाख टन गेहूं की खरीदारी की है। सरकार ने शुक्रवार को साफ किया कि कुछ फसलों की पैदावार कम होने के बावजूद खाद्य सुरक्षा पर असर नहीं पड़ेगा। हालांकि इन अनाजों की कीमतों में तेजी का रुख देखा जा सकता है। केंदीय कृषि राज्यमंत्री क्रांति लाल भूरिया ने राज्यसभा को दिए अपने लिखित जवाब में बताया, 'कुछ अनाजों की पैदावार में कमी आने से कीमतों में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन यह बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी और कमोडिटीज के आयात-निर्यात की वजह से होगा। इसके बावजूद खाद्य सुरक्षा पर किसी तरह का प्रतिकूल असर नहीं देखने को मिलेगा।' उन्होंने बताया कि 2008-09 के खरीफ सीजन में बाजरा, मक्का, तूर और तिलहन फसलों की पैदावार प्रभावित हुई है। इसलिए 2007-08 की खरीफ सीजन की तुलना में इन फसलों की पैदावार कम होने की आशंका है। पिछले खरीफ सीजन की तुलना में दाल, गन्ना और कॉटन के बुआई क्षेत्र में कमी आई है। भूरिया ने बताया, 'मानसून के कमजोर रहने की वजह से खरीफ सीजन 2008 में कुछ फसलों का बुआई क्षेत्र घटा है।' एफसीआई के गोदामों में अनाज का ठीक भंडारण नहीं करने के कुछ सांसदों के आरोप को खारिज करते हुए सरकार ने कहा कि जितना भंडारण किया गया है, उसकी तुलना में खराब अनाज का हिस्सा बहुत छोटा है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने बताया, 'वर्ष 2005 से 2008 के बीच एफसीआई ने 2,780 लाख टन अनाज का भंडारण किया है, इसका केवल 0.09 फीसदी अनाज ही खराब हुआ है।' उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान रखरखाव की वजह से अनाज नहीं खराब हुआ है। हालांकि इस दौरान एफसीआई के केंदीय पूल में 2.49 लाख टन अनाज खराब हुआ, लेकिन इसके लिए तूफान और बाढ़ जैसे दूसरे कारणों जिम्मेदार रहे। पवार ने यह भी बताया, 'सरकार कई बार किसानों के दबाव में मानक के अनुरूप नहीं होने के बावजूद अनाज की खरीदारी करनी पड़ती है।' (ET Hindi)
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