26 अक्तूबर 2008
वनस्पति उद्योग खाद्य तेलों पर आयात शुल्क के खिलाफ
खाद्य तेलों के दामों में गिरावट से किसानों को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए सरकार खाद्य तेलों पर आयात शुल्क लगाने पर विचार कर रही है। ऐसा होने पर घरेलू वनस्पति उद्योग की मुश्किले बढ़ सकती है। इससे वनस्पति उद्योग ने क्रूड पाम तेल पर आयात शुल्क न लगाने की मांग की है। झुनझुनवाला वनस्पति के महाप्रबंधक आदर्श झुनझुनवाला ने बताया कि इस साल अप्रैल में क्रूड पाम तेल पर आयात शुल्क खत्म होने के बाद घरेलू वनस्पति उद्योग को भी सहूलियत मिली थी। यदि फिर से आयात शुल्क लगता है तो श्रीलंका, नेपाल और भूटान से सस्ते दामों पर वनस्पति घी का आयात शुरू हो जाएगा। इस साल अप्रैल में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए कच्चे खाद्य तेलों पर आयात शुल्क खत्म कर दिया था। साथ ही रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क कम करके 7.5 फीसदी कर दिया था। क्रूड पाम तेल पर आयात शुल्क न होने की वजह से देश में कम लागत पर वनस्पति घी का उत्पादन होने लगा था। उस स्थिति में श्रीलंका और नेपाल से देश में आने वाला वनस्पति घी महंगा हो गया।जिससे इन देशों से आयात बंद हो गया था। इन देशों में पाम तेल के आयात पर कोई शुल्क नहीं है जिससे वनस्पति का उत्पादन कम लागत पर हो जाता है। भारत में आयात शुल्क शू्न्य होने पर इन देशों से आयात बंद हो गया। तेल वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) 2006-07 में देश में 4.5 लाख टन वनस्पति घी का आयात हुआ था। इंडियन वनस्पति प्रोड्यूसर एसोसिएशन (आईवीपीए) के अध्यक्ष जे. के. खेतान ने बताया कि हमने सरकार से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क न लगाने की मांग की है। आयात शुल्क लगाने से न केवल देश में सस्ता आयात बढ़ेगा बल्कि वनस्पति के दामों में भी बढ़ोतरी हो जाएगी। एक अनुमान के अनुसार बीस फीसदी का आयात शुल्क लगने पर वनस्पति घी के दाम चार रुपये प्रति किलो तक बढ़ जाएंगे। (Business Bhaskar)
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