मुंबई October 23, 2008
इस हफ्ते की शुरुआत में वायदा बाजार आयोग के अध्यक्ष बी सी खटुआ द्वारा निलंबित कृषि जिंसों के वायदा कारोबार को दुबारा शुरू करने की उम्मीद जाहिर करने के बाद कारोबारियों को उम्मीद की एक नई वजह मिल गई है।
कमोडिटी बाजार के माहौल और कारोबारियों के हाव-भाव देखकर ऐसा लग रहा है कि बहुत जल्द ये प्रतिबंध उठने वाले हैं। एम.एफ ब्रोकर्स के चिराग शाह कहते हैं कि खटुआ द्वारा उम्मीद जताए जाने के बाद अब लोगों के काफी फोन आ रहे हैं। सब कह रहे हैं कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि 30 नवंबर के बाद सरकार प्रतिबंध की अवधि को आगे नहीं बढ़ाएगी। बोनांजा कमोडिटी के रिसर्च प्रमुख विभू रतनधारा के अनुसार, जिंसों के वायदा कारोबार पर लगे प्रतिबंध को हटाने का यह उपयुक्त समय हो सकता है क्योंकि फिलहाल खरीफ फसलों की कटाई जोरों पर है। इससे किसानों को उत्पादों के मूल्य का सही आकलन करने का पूरा मौका भी मिल जाएगा। कारोबारियों का कहना है कि जिस मकसद से ये प्रतिबंध लगाए गए थे वे मकसद तो अब तक पूरे नहीं हुए। हालांकि खटुआ ने सोमवार को हैदराबाद में कहा था कि प्रतिबंध के चलते इन जिंसों की कीमतों में उल्लेखनीय कमी हुई है। हाल ये है कि गेहूं अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे चला गया है।कारोबारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार यदि निलंबित जिंसों में वायदा कारोबार दुबारा शुरू करने की इजाजत देगी तो वायदा बाजार और इसके कारोबारी दोनों मंदी की गिरफ्त से बच जाएंगे। उल्लेखनीय है कि सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण लगाने के लिए जनवरी 2007 में चावल, गेहूं, उड़द और अरहर के वायदा कारोबार को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया गया था।इसके बाद भी महंगाई नियंत्रित न हुई तो इस साल मई में रबर, चना, सोया तेल और आलू के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी गई। बाद में सरकार ने प्रतिबंध को तीन महीने और बढ़ाकर 30 नवंबर 2008 तक कर दिया। जानकारों का मानना है कि इस प्रतिबंध के चलते देश के सभी एक्सचेंजों को रोजाना होने वाले कारोबार के लिहाज से तकरीबन 6.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। वायदा एक्सचेंजों को चावल, गेहूं, उड़द और अरहर पर लगी रोक से रोजाना 1,500 करोड़ रुपये और चना, सोया तेल, आलू और रबर पर लगे प्रतिबंध से 1,000 करोड़ रुपये के कारोबार से वंचित होना पड़ रहा है।सोमवार को हैदराबाद में दिए गए बयान में खटुआ ने भी इस बात की पुष्टि की थी। खटुआ ने कहा था कि कृषि जिंसों के वायदा कारोबार में तकरीबन 50 फीसदी की कमी हो सकती है। उसने बताया था कि 2006-07 में कृषि उत्पादों का कुल कारोबार 13 लाख करोड़ रुपये रहा था पर आशंका है कि इस साल कारोबार 6.5 लाख करोड़ रुपये तक सिमट जाएगा। (BS Hindi)
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